नयी दिल्ली: दिल्ली के किराड़ी इलाके में तीन मंजिला आवासीय और व्यावसायिक इमारत में रविवार देर रात भीषण आग लगने से तीन बच्चों समेत कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई। दिल्ली अग्निशमन सेवा विभाग (डीएफएस) के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार देर रात 12 बजकर 30 मिनट पर एक घर में आग लगने की सूचना मिलने के बाद दमकल की नौ गाड़ियों को मौके पर भेजा गया और सुबह 3:50 बजे तक आग पर काबू पाया जा सका। पुलिस ने बताया कि इमारत में कोई अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं था और इसके भूतल में कपड़ों का एक गोदाम था।
प्रारंभिक जांच के दौरान पता चला कि भूतल पर आग लगनी शुरू हुई और ऊपरी मंजिलों तक फैलती चली गयी। एक अधिकारी ने बताया कि दूसरी मंजिल पर एक सिलेंडर फटने के कारण इमारत का एक हिस्सा ढह गया। आग शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगने का अंदेशा है लेकिन असल कारणों का पता लगाया जा रहा है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों और दमकलकर्मियों ने तीन लोगों को बचा लिया जिनकी पहचान पूजा (24) और उसकी बेटी आराध्या (तीन) तथा भतीजी सौम्या (10) के रूप में की गई है। आग से बचने के लिए ये तीनों बगल की इमारत में कूद गई थीं। दमकल विभाग ने कहा कि मृतकों की शिनाख्त इमारत के मालिक राम चंद्र झा (65), सुदरिया देवी (58), संजू झा (36), गुड्डन , उदयकांत चौधरी (33) एवं उसकी पत्नी मुस्कान (26) तथा उनके बच्चों अंजलि (10), आदर्श (सात) और तीन माह की बच्ची तुलसी के रूप में की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि गुड्डन, राम चंद्र झा के बड़े बेटे वैद्यनाथ झा की सास थी और उदयकांत चौधरी किराएदार था। पुलिस ने कहा कि तीनों पहली मंजिल के कॉरिडोर में मृत मिले। सात लोगों की सुल्तानपुरी स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में ऑटोप्सी पूरी कर ली गयी है। मकान मालिक के छोटे बेटे अमरनाथ झा ने कहा कि वह हरिद्वार में था जहां उसे घटना का पता चला। उसने बताया, ‘‘मेरे भाई की इस साल जनवरी में मृत्यु हो गयी थी और मैं इस सिलसिले में गंगा स्नान के लिए हरिद्वार गया था। मैं रविवार शाम 5:30 बजे घर से निकला था और रात करीब 12:15 बजे मेरी पत्नी पूजा का फोन आया लेकिन उसकी आवाज साफ नहीं थी। बाद में मेरे दूसरे रिश्तेदारों ने मुझे घटना की जानकारी दी।’’ उसने कहा, ‘‘मैं आज सुबह करीब 10:30 बजे दिल्ली पहुंचा और पता चला कि मेरे माता-पिता और भाभी को मैंने खो दिया है। यह 2019 में मेरे परिवार में दूसरी दुखद घटना है।’’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब वह मौके पर आग बुझाने पहुंचे तो इमारत का एक मात्र प्रवेश-निकास द्वार अंदर से बंद था। अधिकारी ने कहा कि मृतक उदयकांत चौधरी ने अपने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया था जहां धुआं भरने के कारण दम घुटने से उसकी मौत हो गयी। अगर वह बालकॉनी से बचने की कोशिश करता तो परिवार के बचने की संभावना अधिक होती। हालांकि उदयकांत चौधरी के रिश्तेदार किसी साजिश का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि उदयकांत ने उन्हें फोन करके कहा था कि किसी ने आगे के दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया है। विजय कुमार चौधरी ने कहा, ‘‘मेरे भाई ने रात में मुझे फोन किया और कहा कि नीचे की मंजिल पर आग लग गयी है। उसने यह भी कहा कि किसी ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि घटना के समय वह दफ्तर में थे।
उल्लेखनीय है कि कुछ ही दिन पहले उत्तरी दिल्ली के अनाज मंडी इलाके में आठ दिसंबर को चार मंजिला इमारत में आग लगने से 44 लोगों की मौत हो गई थी। इस इमारत में अवैध निर्माण इकाइयां थीं। दिल्ली सरकार ने किराड़ी अग्निकांड में मारे गये लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि सरकार घायलों के उपचार का खर्च भी उठाएगी और उन्हें एक लाख रुपये देगी। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर अवतार सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि घटना में नौ लोगों की मौत हो गयी और तीन लोग अस्पताल में हैं। मैंने अधिकारी को शाम तक घटना के कारण के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। हमने अनाज मंडी की घटना के मामले में जांच कर ली है तथा जल्द रिपोर्ट सौंपेंगे।’’
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने स्थानीय सांसद हंस राज हंस और पार्टी नेता विजेंद्र गुप्ता के साथ मौका मुआयना किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। हंस ने बाद में उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात कर मामले में कार्रवाई की मांग की। रामचंद्र झा ने भूतल को विजय सिंह कटारा को किराये पर दे दिया था जिसका दावा है कि 20 लाख रुपये के कपड़े आग में स्वाहा हो गये। रोहिणी एसडीएम एनएसपी त्रिपाठी ने कहा, ‘‘यह जांच का विषय है कि क्या इलाके का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य से हो रहा था। पुलिस अपनी जांच करेगी और रिपोर्ट देगी जिसके बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी।’’ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में प्रेम नगर थाने में आईपीसी की धाराओं 337 (जान खतरे में डालकर नुकसान पहुंचाना), 304ए (लापरवाही की वजह से मौत होना) और 285 (आग के संबंध में लापरवाही) के तहत मामले दर्ज किये हैं।