सबरीमाला। केरल के प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में दो महीने के लिए शुरू वार्षिक तीर्थ यात्रा मंडल-मकरविलक्कू के दूसरे दिन रविवार को बारिश के बावजूद हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मुख्य पुजारी ए के सुधीर नम्बूदरी ने रविवार तड़के तीन बजे मंदिर के गर्भगृह को खोला और ‘नेयाभिषेकम’ सहित अन्य विशेष पूजा की जिसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए।
‘नादपंथल’ (जहां पर श्रद्धालु दर्शन के लिए कतार लगाते हैं) और ‘सन्निधानम’ में रविवार शाम को हुई भारी बारिश के बावजूद भीड़ दिखी। पुलिस नियंत्रण कक्ष के अधिकारियों ने बताया कि रविवार शाम पांच बजे तक 25,125 श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर चुके थे। आंध्र प्रदेश से आए एक श्रद्धालु ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ व्यवस्था ठीक है लेकिन बारिश अप्रत्याशित है। बच्चों सहित कई लोग भीग गए।’’
उच्चतम न्यायालय द्वारा 2018 में सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने सहित अन्य धार्मिक मामलों को वृहद पीठ को भेजे जाने के कुछ दिन बाद वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए शनिवार को मंदिर के कपाट खोले गए थे।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने के अपने पिछले आदेश पर रोक नहीं लगाई है, इसके बावजूद शनिवार को आंध्र प्रदेश से 30 लोगों के समूह में शामिल 10 महिलाओं को पम्पा से ही लौटा दिया गया क्योंकि उनकी उम्र 10 से 50 साल के बीच थी।
केरल सरकार ने पिछले साल युवा महिला श्रद्धालुओं को मंदिर आने के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई थी लेकिन इस बार उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रचार के लिए आने वाली महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी।
केरल के कानून मंत्री ए के बालन ने रविवार को कहा, उच्चतम न्यायालय की ओर से 28 सितंबर 2018 को सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश देने के आदेश पर ‘वस्तुत:’ रोक लग गई है और सरकार केवल अदालत के आदेश के आधार पर ही कार्रवाई कर सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में संवैधानिक सरकार केवल अदालत के आदेश के अनुरूप ही काम कर सकती है। अब हम नयी समस्या का सामना कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या 14 नवंबर के फैसले से पिछले आदेश पर रोक लग गई है? कानूनी रूप से कोई रोक नहीं है लेकिन वस्तुत: रोक है।’’ बालन ने कहा, ‘‘2018 के आदेश पर प्रभावी रूप से रोक लग गई है, भले ही आधिकारिक रूप से इसका उल्लेख नहीं है।’’
उल्लेखनीय है कि राज्य और मंदिर परिसर पिछले साल दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध का तब गवाह बना जब यहां की वाम मोर्चे की सरकार ने 28 सितंबर 2018 को सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के आदेश का अनुपालन करने का फैसला किया।
इस बीच, केरल के देवस्वओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने सबरीमला से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की और मंदिर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि छोटे वाहनों को पम्पा तक जाने की अनुमति दी जाएगी और केरल राज्य सड़क परिवहन निगम के बस कतार प्रणाली का अनुपालन करेंगे और नीलक्कल से पम्पा तक संवाहक तैनात होंगे।
पिछले साल दक्षिणपंथी संगठनों और राजनीतिक पार्टियों के विरोध प्रदर्शन की वजह से निजी वाहनों को केवल नीलक्कल तक आने की अनुमति दी गई थी जो पम्पा से करीब 18 किलोमीटर दूर है। राज्य के मंदिरों का प्रबंधन देखने के लिए गठित त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की है। पिछले साल अगस्त में जमकर हुई बारिश और बाढ़ की वजह से भारी तबाही हुई थी और तीर्थ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाई गई संरचनाएं बर्बाद हो गई थीं।