नई दिल्ली: जापान के पीएम शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलकर पिछले दिनों अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखी थी। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 1.08 लाख करोड़ रुपए आएगी। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के 15 अगस्त 2022 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन हाई-स्पीड ट्रेन का सपना देख रहे भारत में बुलेट ट्रेन से भी तेज स्पीड की एक ट्रेन दौड़ सकती है। चीन, जापान में चलने वाली बुलेट ट्रेनों से भी तेज होगी भारत में चलने वाली हाइपरलूप ट्रेन।
हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट के ट्रायल के मामले में भारत तमाम बड़े देशों से आगे निकल सकता है। इस ट्रेन से दिल्ली से मुंबई का सफर महज 55 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। यह बुलेट ट्रेन से भी तेज चलती है। इसे तैयार करनेवाली कंपनी हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजिज के चेयरमैन और मुख्य संचालन अधिकारी बिपॉप ग्रेस्टा ने कहा कि वह सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिले थे और भारत में एक पायलट परियोजना स्थापित करने का औपचारिक प्रस्ताव रखा था।
हवाईजहाज से भी तेज है इस ट्रेन की स्पीड
हवाईजहाज की स्पीड से भी तेज यह ट्रेन 'हाइपरलूप ट्यूब' के भीतर कम दबाव वाले क्षेत्र में चलेगी। इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बुलेट ट्रेन से दोगुनी रफ्तार से चलेगी। यह ट्रेन चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) पर चलेगी। यह ट्रेन वैक्यूम (बिना हवा) ट्यूब सिस्टम से गुजरने वाली कैप्सूल जैसी हाइपरलूप 750 मील (1224 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है।
मुंबई से पुणे महज 25 मिनट में
एक ‘हाइपरलूप’ पॉड में 6 से 8 लोग सफर कर सकते हैं। फिलहाल मुंबई से पुणे के बीच इसे चलाए जाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। एक अंदाज के मुताबिक अगर मुंबई-पुणे के बीच हाइपरलूट ट्रेन दौड़ती है तो ये सफर महज 25 मिनट का रह जाएगा।
क्या है ‘हाइपरलूप’?
एक ट्यूब के भीतर ‘हाइपरलूप’ को उच्च दबाव और ताप सहने की क्षमता वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाता है। इस स्की में छिद्रों के जरिये दबाव डालकर हवा भरी जाती है। जिससे कि यह एक एयर कुशन की तरह काम करने लगता है। स्की में लगे चुंबक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ‘हाइपरलूप’ के पॉड को गति दी जाती है।
कहां चलेगी यह ट्रेन
मुंबई से चेन्नई के बीच की 1,102 किलोमीटर की दूरी इस ट्रेन से 50 मिनट में पूरी हो जाएगी। दिल्ली से जयपुर और इंदौर से होते हुए मुंबई की 1,317 किलोमीटर की दूरी करीब एक घंटे में पूरी हो जाएगी। बेंगलुरु से तिरुवनंतपुरम के बीच की 736 किमी 41 मिनट में पहुंच में पहुंचाएगी। वहीं बेंगलुरु से चेन्नई की 334 किलोमीटर की दूरी 20 मिनट में पूरी हो जाएगी।