कहते हैं कि महाराजा पटियाला के महल में रोजाना 365 लालटेनें जलाई जाती थीं। जिस पर उनकी 365 रानियों में से हर रानी का हर लालटेन पर नाम लिखा होता था। जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे।
महाराजा भुपिंदर सिंह का किला पटियाला शहर के बीचोबीच 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मुख्य महल, गेस्ट हाउस और दरबार हॉल इस किले के परिसर के प्रमुख भाग हैं। इस परिसर के बाहर दर्शनी गेट, शिव मंदिर और दुकानें हैं। इन दोनों महलों को बड़ी संख्या में भीत्ति चित्रों से सजाया गया है, जिन्हें महाराजा नरेन्द्र सिंह की देखरेख में बनवाया गया था। किला मुबारक के अंदर बने इन महलों में 16 रंगे हुए और कांच से सजाए गए चैंबर हैं।
महाराजा ने महल के बाहर एक 'स्विमिंग पूल' बनवाया। पूल इतना बड़ा कि 150 मर्द-औरतें एक साथ नहा सकें। यहां बड़ी शानदार पार्टियां होती थीं। पार्टियों में खुलेआम रंगरलियां चलती थी। उन पार्टियों में शरीक हाने के लिए महाराजा अपनी प्रेमिकाओं को बुलाते थे। वे सब, महाराजा और उनके दो-चार ख़ास मेहमानों के साथ तालाब में नहाती और तैरती थीं। पटियाला पैग भी दुनिया को महाराजा भूपिंदर सिंह की ही देन है।
महाराजा भूपिंदर सिंह के पास 2,930 हीरो वाला नेकलेस था, जिसमें दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा जड़ा था। इस नेकलेस का वजन लगभग एक हजार कैरेट था। इस नेकलस की कुल कीमत 166 करोड़ थी। फिलहाल इस नेकलेस को बनाने वाली कंपनी कार्टियर का इस पर मलिकाना हक है।