नई दिल्ली : भारत के एक महाराजा अपनी रंगीन मिजाजी के लिए काफी मशहूर रहे। इस रंगीन मिजाजी के सच्चे किस्से आपको चौंका देंगे। हम बात कर रहे हैं पटियाला रियासत के महाराजा और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के दादा महाराजा भूपिंदर सिंह की। पटियाला के इन महाराजा की गतिविधियों का जिक्र महाराजा भूपिंदर सिंह के दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब 'महाराजा' में किया है। महाराजा भूपिंदर सिंह ने पटियाला में 'लीला-भवन' या रंगरलियों का महल बनवाया था, जहां केवल निर्वस्त्र लोगों को एंट्री मिलती थी। यह महल पटियाला शहर में भूपेन्दरनगर जाने वाली सड़क पर बाहरदरी बाग़ के करीब बना हआ है। इस महल का जिक्र उनके दीवान ने 'महाराजा' में किया है।
इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा की 10 अधिकृत रानियों के समेत कुल 365 रानियां थीं। इन रानियों की सुख-सुविधा का महाराज पूरा ख्याल रखते थे। महाराजा की रानियों के किस्से तो इतिहास में दफन हो चुके हैं, जबकि उनके लिए बनाए गए महल अब ऐतिहासिक धरोहर बन चुके हैं। 365 रानियों के लिए पटियाला में भव्य महल बनाए गए थे। रानियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम भी इन महलों में ही रहती थी। उनकी इच्छा के मुताबिक उन्हें हर चीज मुहैया करवाई जाती थी।
दीवान जरमनी दास के मुताबिक महाराजा भूपिंदर सिंह की दस पत्नियों से 83 बच्चे हुए थे जिनमें 53 ही जी पाए थे। महाराजा कैसे अपनी 365 रानियों को संतुष्ट रखते थे इसे लेकर इतिहास में एक किस्सा बहुत मशहूर है।
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