अंकुर वर्मा पहले कानपुर की एक फैक्ट्री में काम करता था। लेकिन उसकी शैक्षणिक योग्यता महज इंटर थी, लिहाजा उसे निकाल दिया गया। उसके बाद वह औरया के एक पेट्रोल पंप पर काम करने लगा। इस दौरान उसने चिप के जरिए पेट्रोल चोरी का प्रयोग शुरू किया। चिप और रिमोट से तेल चोरी के प्रयोग में सफल होने के बाद उसने अपना नेटवर्क पंजाब, हरियाणा और यूपी में फैलाया।
टेक्निकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेट्रोल पंप पर लगने वाली चिप दो तरह से काम करती है। एक चिप रिमोट से तो दूसरी चिप कोड से काम करती है। दोनों चिपों के अलग-अलग रेट हैं। रिमोट वाली चिप की कीमत 40 से 50 हजार रुपये मिलती है। कोड वाली चिप की कीमत 20 हजार से 30 हजार है। रिमोट वाली चिप पंप के मीटर की पल्स बढ़ा देती है। ग्राहक को पेट्रोल या डीजल देते समय मीटर रीडिंग दस से शुरू होकर बीच के अंक छोड़कर आगे बढती है।
कोड वाली चिप में पहले से ही लीटर या रुपये फीड किया जाता है। 10, 20 या 50 लीटर पर या फिर 100, 200, और 500 रुपये फीड किए जाते हैं। अगर इस क्रम में कोई डीजल या पेट्रोल डलवाता है तो घटतौली की जा सकती है। चिप में ए, बी, सी कोड है, एक लीटर पर आठ रुपये की चपत लगानी है तो ए कोड सेट किया जाता है, 6 रुपये की चपत के लिए बी कोड और चार रुपये के लिए सी कोड।
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