नई दिल्ली: वर्तमान समय में बढ़ते आतंकवाद के चलते हमें कई आतंकवादी हमलों की खबर आए दिन सुनने को मिलती है। ऐसे में आतंकवाद को बढ़ावा देने में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर हमेशा से ही आरोप लगते रहें हैं। कई अरब देशों द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कतर की नाकेबंदी करने के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है।
कहा जा रहा है कि आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान और UAE के बैंको से मदद के रुप में फंड भेजा जाता रहा है। जिसका इस्तेमाल कई आतंकवादी हमलों जैसे 2001 के वर्ल्ड सेंटर हमले और 2008 में हुए मुंबई हमलों पर भी किया गया है। ग्लोबल लीक्स नाम के एक विसल-ब्लोअर संगठन का यह भी कहना है कि UAE के जिन बैंको से इन आतंकवादी संगठनों को पैसा भेजा जा रहा था, वह वहां के शाही परिवार के हैं। (500, 2000 के बाद मोदी सरकार अब ला रही है 200 के नए नोट, छपाई का काम शुरू)
डेली बीस्ट, द टेलिग्राफ, अल-जजीरा और हफिंगटन पोस्ट जैसे अखबारों ने ग्लोबल लीक्स से आई यह खबर छापी है, जिसमें एक बार फिर साफ-साफ इन देशों पर आरोप लगता नज़र आ रहा है ऐसे में अगर यह आरोप सही निकल जातें हैं तो यह आरोपों का मामला और गर्माता नज़र आएगा।
सुत्रों के हवाले से आई खबर के अनुसार 9/11 और 26/11 जैसे बड़े आतंकी हमलों के लिए भी पाकिस्तान के यूनाइटेड बैंक लिमिटेड और UAE के दुबई इस्लामिक बैंक के साथ अल फलाह जैसे बैंकों से फंडिंग की गई थी। कहा जा रहा है कि यह बैंक अबू धावी के शाही परिवारों का है। इन बैंको ने कई बड़े आतंकी संगठनों को भी फंडिंग करने की बात पर मंजूरी दी है। जिनमें जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन भी शामिल हैं। (नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में 2 जवान घायल)
इन दोनों संगठनों पर लगे बड़े आरोपों में से एक 26/11 का हमला भी है, जिसमें इस घटना को रचने और उसे करवाने का आरोप भी शामिल है। 2008 में हुए इस हमले से उस समय पूरा मुंबई शहर दहल गया था, जिसमें करीब 166 लोग मारे गए थे और साथ ही 300 से ज़्यादा लोग घायल भी हुए थे। अमेरिका के जस्टिस अगेंस्ट स्पॉन्सर्स ऑफ टेररेज़म ऐक्ट (JASTA) के तहत अमेरिकी नागरिक UAE और सऊदी से 9/11 हमलों का मुआवजा मांग सकते हैं।