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आम हो या खास नहीं मिलेगा 'आम'

लखनऊ: तेज हवा के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। खराब मौसम के कारण आम के पेड़ों पर लगे बौर गिर गए हैं। इसका असर इस बार

IANS
Updated on: April 17, 2015 11:21 IST
खराब मौसम के कारण आम के...- India TV Hindi
खराब मौसम के कारण आम के पेड़ों पर लगे बौर गिर गए हैं।

लखनऊ: तेज हवा के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। खराब मौसम के कारण आम के पेड़ों पर लगे बौर गिर गए हैं। इसका असर इस बार उत्पादन पर भी पड़ेगा। ऐसे में यह सहज ही कहा जा सकता है कि आम हो या खास नहीं मिलेगा 'आम'।

बीते दो सालों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की फल पट्टी क्षेत्र सहारनपुर और मेरठ मंडल के जिलों में आम की फसल में कमी आई है। इस बार फरवरी के आखिरी सप्ताह, मार्च और अप्रैल की शुरुआत में आई आंधी, बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है।

पिछले साल भी फरवरी में हुई बारिश और फिर जून की तेज गर्मी से आम की 40 फीसदी फसल बर्बाद हो गई थी। बागवानों की मानें तो अब अगर मौसम सामान्य भी रहता है तो दशहरी की बची खुची फसल को बाजार में आने में देर लगेगी और यह जुलाई से पहले नहीं पक सकेगी। बागवान अमर ने बताया कि खराब मौसम के चलते इस बार भी आम का निर्यात प्रभावित होगा।

बागवान सुरेंद्र ने बताया कि सामान्य तौर पर खाड़ी देशों, यूरोप और अमेरिका में हर साल 150 से 200 टन आम उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बरेली सहारनपुर, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, बुलंदशहर के स्याना, गुलावठी, शिकारपुर फल पट्टी क्षेत्र से भेजे जाते हैं। पिछले साल फसल खराब होने से केवल 40 टन आम ही बाहर भेजा सका था। इस बार इतना निर्यात हो पाना संभव नहीं है।

उन्होंने बताया कि फरवरी में आम के पेड़ों में अच्छे खासे बौर आने शुरू हो गए थे। तेज बारिश और ओला पड़ने से आम की फसल 60 फीसदी खराब हो गई। उन्होंने बताया कि फरवरी में बाहर से निर्यात के कुछ ऑर्डर भी आने शुरू हो गए थे, पर मौसम की बेरुखी ने सब पर पानी फेर दिया। बागपत के बागवान रफीक का कहना है कि आम के मौसम में उत्तर प्रदेश के लोगों को बिहार का सहारा लेना पड़ेगा।

बिहार में होने वाले मालदह, चौसा, सफेदा और कपूरी आम बाजार में ऊंचे दामों पर बिकेंगे। मौसम का प्रकोप पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुकाबले बिहार में कम है। इसके चलते वहां के आमों को यहां के बाजारों में तरजीह मिल सकती है। आम की फसल बर्बाद होने पर फलों के राजा का आम और खास को मिलना मुश्किल है।

 

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