हालांकि, काफी भक्त इस योजना के प्रारूप से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि ईश्वर को चढ़ाए गए उनके भेंट को पिघलाने का ख्याल सही नहीं है। मुंबई के एक सोना व्यापारी ने बताया कि उनके पिता ने सिद्धिविनायक मंदिर में अब तक तकरीबन 200 किलो सोने का चढ़ावा दिया है। उनका कहना है कि श्रद्धा के चढ़ावे पर मंदिरों का ब्याज लेना पाप होगा। 52 वर्षीय इस व्यापारी का कहना है कि भक्त ईश्वर के लिए भेंट देते हैं न कि मंदिर ट्रस्ट के लिए।
इस योजना के साथ ही मोदी सरकार इसी से मिलती-जुलती एक और योजना पर काम कर रही है। मोदी चाहते हैं कि भारतीय परिवार भी गहने और अन्य सामान की शक्ल में सुरक्षित अपना सोना बैंकों में रखवाएं। एक अनुमान के अनुसार, सिर्फ भारतीय घरों में 17000 टन से ज्यादा होने की उम्मीद है।