नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मां की उनके साहस और हिम्मत की प्रंशसा की है। इस मां ने संक्रमित होने के बाद खुद को अपने 6 साल के बेटे से अलग कर लिया था। उसी दौरान मां ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एक कविता के माध्यम से अपनी आपबीती बताई थी। गाजियाबाद निवासी पूजा वर्मा और उनके पति अप्रैल महीने में संक्रमित हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने खुद को अपने घर पर ही अलग अलग कमरों में आइसोलेट कर लिया। इसी दौरान पति-पत्नी के सामने अपने बेटे को कोरोना से सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती था। जिसके बाद दोनों ने अपने 6 वर्षीय बेटे को अपने से अलग कर एक दूसरे कमरे में रहने को कह दिया था।
14 दिन के इस कठिन सफर को पूजा उनके पति गगन और बेटे अक्ष ने अकेले पूरा किया। बेटे से वीडियो कॉल पर बात करना, उसके खाने के लिए बाहर से ऑर्डर करना आदि एक मां के जरिये हर वो कदम उठाए गए जिससे उनका बेटा सुरक्षित रहे साथ ही बेटे को अकेला महसूस भी न हो। अपने बेटे से दूरी के सफर को पूजा ने एक कविता (कोविड में मां की मजबूरी) के रूप में पिरो दिया। हर शब्द में अपने दर्द को बयां करने की कोशिश की गई। आखिर कार अपने जज्बातों को कविता के रूप में सजों कर रख दिया और प्रधानमंत्री को भेज दी। हालांकि पूजा और उनके पति गगन को इस बात पर यकीन नहीं था कि उनकी चिठ्ठी का कोई जवाब भी आएगा।
पूनम वर्मा द्वारा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कविता( कोविड में मां की मजबूरी) भेजी गई थी वह कुछ इस प्रकार है कि, जाली के पीछे से मेरा लाल झंकार रहा है, मासूम आंखों से मजबूर मां को ताक रहा है। कभी कहता माँ, मम्मा, मम्मा नारज हो क्या, ना जाने कितने जतन किए मां को पास बुलाने के, आंखें में आने लेता आज तो मेरे पास सूगी ना, नींद नहीं आती मुझे आपके सात के बिना, चाह तो मुझे बस सुलेके कहली जाना मां, मम्मी, मम्मा।
जाली के पीछे से मेरा लाल झंकार रहा है, ये कैसी मजबूरी है ये कैसी दूर है, पास होकर भी मां बेटे में दो गज की दूरी है। ये केसी महामारी ये केसी आपा है आई जग में, मां की ममता पिता का प्यार आज है लचर, माँ का दिल राह रह कर गले लगना चाहे लाल तुझे, एक पल जिसे ऊझल न होने दिया अपनी आंखों से, जाली के पीछे से मेरा लाल झंकार रहा है।
36 वर्षीय पूजा वर्मा ने बताया कि, मेरे पति 6 अप्रैल को सबसे पहले संक्रमित हुए हमने उन्हें यशोदा अस्पताल में दिखाया। डॉक्टर द्वारा सलाह दी गई कि जांच करा लें। जांच में पति संक्रमित आये। ठीक कुछ दिन बाद मुझे कोरोना के लक्षण दिखने लगे। मेरी भी जांच होने के बाद संक्रमित की पुष्टि हुई। दोनों संक्रमित होने के बाद वो समय बेहद मुश्किल भरा था, बेटा मना कर रहा था कि मैं अकेले कैसे रह पाऊंगा। हम खाना बाहर से आर्डर करते थे, स्कूल की पढ़ाई और खेल कूद एक ही कमरे में कर रहा था।
उन्होंने आगे बताया कि, मैंने उस पल को कविता का रूप दिया और प्रधानमंत्री को 25 अप्रैल के आस पास भेज दी थी। उसके बाद पीएमओ की तरफ से कुछ दिन बाद फोन आया हमारा हाल चाल जाना। मुझे बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने आपकी कविता पढ़ी उन्हें बेहद अच्छी लगी। फिर मुझे 8 जून को प्रधानमंत्री की तरफ से मेरी कविता का जवाब आया जिसमें उन्होंने मेरी प्रशंसा की थी।
प्रधानमंत्री द्वारा पूजा वर्मा को भेजी गई चिट्ठी में लिखा है, कोरोना से लड़ते वक्त अपने बच्चे से अलग रहते हुए आपने एक माँ के मन में उभरने वाले विचारों को जिस तरह से शब्दों में डाला है वह भावुक करने वाला है। कविताएं संवाद का एक सशक्त माध्यम है। मन के विचारों और भावों को शब्दों में गढ़कर अभिव्यक्त करने की अद्भुत क्षमता कविताओं में है। आपकी कविता एक मां की ममता, स्नेह, बच्चे से दूर रहने पर उसकी चिंता, उसकी व्याकुलता ऐसा अनेक भावों को समेटे हैं।
शास्त्रों में भी विपत्ति के समय धीरज न हारने और साहस बनाये रखने की सीख दी गई है। मुझे विश्वास है कि आप इसी तरह आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के साथ जीवन पथ पर आगे बढ़ती रहेंगी।