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Coronavirus के प्रकोप ने बढ़ायी नमस्ते की लोकप्रियता, दुनिया ने अपनाई भारतीय परंपरा

दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस संक्रमण के डर से लोगों का झुकाव पारंपरिक भारतीय अभिवादन ‘नमस्ते’ की ओर बढ़ रहा है क्योंकि इसमें आप सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए सामने वाले व्यक्ति का विनम्रता से अभिवादन कर सकते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 14, 2020 6:58 IST
Coronavirus के प्रकोप ने बढ़ायी नमस्ते की लोकप्रियता, दुनिया ने अपनाई भारतीय परंपरा- India TV Hindi
Coronavirus के प्रकोप ने बढ़ायी नमस्ते की लोकप्रियता, दुनिया ने अपनाई भारतीय परंपरा

नयी दिल्ली: दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस संक्रमण के डर से लोगों का झुकाव पारंपरिक भारतीय अभिवादन ‘नमस्ते’ की ओर बढ़ रहा है क्योंकि इसमें आप सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए सामने वाले व्यक्ति का विनम्रता से अभिवादन कर सकते हैं। दुनिया के कई शीर्ष नेताओं सहित बड़ी संख्या में लोग फिलहाल ‘हेलो’, ‘हाय’ और ‘आप कैसे हैं’ के अभिवादन के लिए नमस्ते का प्रयोग कर रहे हैं। दोनों हाथ जोड़कर किया जाने वाला नमस्ते संस्कृत के शब्दों ‘नमस’ (झुकना) और ‘ते’ (आपके समक्ष) से बना है। 

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एक-दूसरे को छूने से बचने के लिए इस परंपरा को अपनाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वाराडकर का स्वागत ‘नमस्ते’ के साथ किया। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने भी कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने पहले हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया था, लेकिन जल्दी ही हाथ समेटा और दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते किया। 

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने भी स्पेन के राजा फिलिपे का सोमवार को स्वागत करते हुए उनका अभिवादन नमस्ते के साथ किया। इस महीने की शुरुआत में इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने देश के लोगों को सलाह दी थी कि वे कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए ‘नमस्ते’ अपनाएं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया है और 118 देशों में अभी तक 5,000 से ज्यादा लोगों की अभी तक इस संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है। अमेरिकी अंग्रेजी शब्दकोश मरियम वेबस्टर के अनुसार, नमस्ते शब्द अंग्रेजी में तब शामिल हुआ जब धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष संस्कृतियां साथ आयीं और उसका प्रयोग बढ़ा। 

यह शब्द हिन्दुत्व और योग दोनों ने जुड़ा हुआ है। फिलहाल कोरोना वायरस ने नमस्ते को और लोकप्रिय बना दिया है, लेकिन ‘योग’ के कारण पश्चिमी दुनिया बहुत पहले से ही इस शब्द और अभिवादन को जानती है। दिल्ली के एक योग प्रशिक्षक ने भाषा को बताया कि योग में नमस्ते एक ‘मुद्रा’ है जिसमें दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर उन्हें हृदय के पास रखा जाता है। यह शरीर के उपरी हिस्से को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। 

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम दोनों हाथ जोड़कर उसे हृदय के पास लाते हैं तो यह हमारे हृदय चक्र को सक्रिय करता है। नमस्ते मुद्रा से सीने को बहुत लाभ होता है, विशेष रूप से फेफड़ों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।’’ वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर केसवन वेलुथाट के अनुसार, सांस्कृतिक रूप से नमस्ते की शुरुआत हिन्दू समाज में गहरे बसे जातिवाद से जुड़ी है। संस्कृत के विद्वान ने बताया कि ‘नमस्ते’ की शुरुआत इसलिए हुई ताकि उच्च जाति वाले ‘‘अछूतों’’ से अपनी दूरी बनाए रख सकें। 

उन्होंने कहा, ‘‘अन्य समाजों में भी असमानताएं हैं, उदाहरण के लिए पश्चिमी दुनिया में तबकों का फर्क है लेकिन उन समाजों में अस्पृश्यता नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से यह प्रथा है कि समान जाति के सदस्य एक दूसरे को ‘नमस्ते’ कहते हैं लेकिन उदाहरण के लिए कोई ब्राह्मण किसी दलित को कभी नमस्ते नहीं करेगा।

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