नई दिल्ली: भारत में शादियां टूटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अपनी शादी को तोड़ने से ज्यादा कष्टकारी कुछ नहीं हो सकता है। ये बहुत ही मुश्किलों भरा फैसला होता है। हालांकि भारत में अलगाव कानूनी है लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है लेकिन पति-पत्नी में झगड़े के कारण पिछले एक दशक में देश भर में तलाक दर तीन गुना हो गई है। विशेषज्ञों का मानना हैं कि भारत में तलाक़ के अधिकांश मामले का आधार हिंसा, जिसे क़ानूनी भाषा में ‘क्रूरता’ कहते हैं, होती है।
अगर आपसी सहमति या व्यभिचार का सबूत हो या फिर भारतीय क़ानून के अंदर आने वाले हिंसा या अन्य कारण हैं तो कोर्ट के द्वारा क़ानूनी रूप से तलाक़ की इजाज़त दी जा सकती है लेकिन हिंसा के स्तर पर लंबे समय से बहस का मुद्दा बना हुआ है, ख़ासकर तब जब यह तय करने का मामला हो कि शादी में रहते हुए क्या एक इंसान को मानसिक सदमा पहुंचा?
आख़िरकार, अदालतों को अजीबो ग़रीब दलीलों पर फ़ैसला सुनाना पड़ता है जिनमें मुंहासे और अधिक सेक्स की मांग भी बना तलाक़ का कारण। यहां ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं.....
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