नई दिल्ली : आपको हर शहर में कूड़े के ढेरो पर मासूम बच्चे कूड़ा-करकट बीनते नज़र आयेंगे, जो गरीबी लाचारी और अपने परिवार की मजबूरी की वजह से यह सब कुछ करने को विवश है।
उनकी यह मासूम उम्र स्कूल जाने की बजाए कूड़े के ढेर पर नन्हे हाथो से कूड़े के बीच कुछ तलाशती दिखती है। इन मासूमो की किस्मत में कापी किताबो जगह बचपन जैसे कूड़े के ढेर पर कैद हो कर रह गया है। लेकिन उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर में एक ऐसा अधिकारी भी है, जिन्होंने इन शिक्षा से वंचित्त मासूमो के दर्द को समझा और उनका भविष्य सवारने के लिए अपनी अधिकारी पत्नी के साथ 'मिशन आगाज़' के माध्यम से इनके जीवन में शिक्षा की ज्योति जला दी।
यह अधिकारी है ऊधम सिंह नगर ज़िले में जिलाधिकारी के पद पर तैनात आई.ए.एस. अधिकारी अक्षत गुप्ता। जिन्होंने 31वी बटालियन पी ए सी में तैनात अपनी कमांडेंट पत्नी रिद्दिम अग्रवाल के साथ मिलकर ' मिशन आगाज़ ' की अनोखी पहल शुरु की है। इसके ज़रिये कूड़ा करगत बीनने वाले मासूम बच्चो को शिक्षित किया जा रहा है।
अब ज़िले के रुद्रपुर के दो सरकारी स्कूलों राजकीय प्राथमिक विद्यालय और राजकीय प्राथमिक विद्यालय भदईपुरा में कभी कूड़ा-करकट बीनने वाले बच्चे पढ़ते नज़र आ रहे है।
इन स्कूलों में शिक्षा से वंचित रहे 22 मासूम बच्चो के हाथो में अब कूड़ा करगत की जगह अब बस्ते में कापी किताबे दिख रही है। जिलाधिकारी की पहल पर अब आगाज़ मिशन अपने रंग बिखेरने लगा है। खास कर मलिन बस्तियों में 'स्कूल चलो ' का नारा सार्थक जागरूकता फैला रहा है।
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