नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए इसे मध्यस्थता के लिए सौंपने का फैसला किया है। मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय पैनल बनाया गया है। जस्टिस फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला (रिटायर्ड) को इस पैनल का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। आईए आपको बताते है जस्टिस फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला के बारें में।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला का जन्म जुलाई 23 जुलाई 1951 को कराइकुडी, शिवगंगई जिला, तमिलनाडु में हुआ था। कालीफुल्ला ने 20 अगस्त 1975 को वकालत शुरु की, जिसके बाद उन्होंने टी एस गोपालन एंड कंपनी की लॉ फर्म में श्रम कानून का अभ्यास शुरू किया। 2 मार्च 2000 को, उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
फरवरी 2011 में, वह जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के सदस्य बने और उन्हें दो महीने बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। सितंबर 2011 में, उन्हें जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया। न्यायमूर्ति कलीफुल्ला 22 जुलाई 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए। जस्टिस कलीफुल्ला ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया को पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया में जस्टिस लोढ़ा के साथ मिलकर काफी काम किया।