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Telegram या Signal नहीं, नजर में आने से बचने के लिए Threema ऐप इस्तेमाल करते हैं आतंकी

यह पहली बार नहीं है जब NIA ने IS आतंकवादियों के साथ-साथ हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के संबंध में जांच की है।

Reported by: IANS
Published on: January 15, 2021 20:09 IST
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Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL गोपनीयता की चिंताओं पर बहस के बीच कई लोग WhatsApp से Telegram और Signal पर स्विच कर रहे हैं।

नई दिल्ली: गोपनीयता की चिंताओं पर बहस के बीच कई लोग WhatsApp से Telegram और Signal पर स्विच कर रहे हैं, लेकिन भारत और विदेश में आतंकवादी दुनिया भर में अपने लोगों के साथ बातचीत करने के लिए बिना कोई डिजिटल फुटप्रिंट छोड़े एक बेहद सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस्लामिक स्टेट इराक और सीरिया खोरासन प्रांत (ISIS-KP) मामले में अपनी जांच के दौरान पाया है कि गिरफ्तार आरोपी जहांजीब सामी वानी और उसकी पत्नी हिना बशीर बेग और बेंगलुरु के डॉक्टर अब्दुल रहमान उर्फ 'डॉ. ब्रेव' एक बेहद सुरक्षित मैसेजिंग प्लैटफॉर्म Threema का इस्तेमाल कर रहे थे।

‘थ्रीमा के जरिए संपर्क में थे गिरफ्तार किए गए लोग’

वानी और बेग को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि रहमान को अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। 12 जनवरी को एक बयान में NIA के एक प्रवक्ता ने कहा था, ‘हाल तक रहमान भारत और विदेश के ISIS आतंकवादियों के साथ नियमित रूप से एक सुरिक्ष मैसेजिंग प्लेटफॉर्म थ्रीमा के जरिए संपर्क में था, सामी भी इसके इस्तेमाल में शामिल था।’ मंगलवार को खुलासे तब हुए जब आतंकवाद-रोधी जांच एजेंसी ने रहमान के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जो दिसंबर 2013 में सीरिया से लौटा था और प्रतिबंधित आतंकी समूह के लिए लेजर-गाइडेड मिसाइल प्रणाली विकसित करने के लिए अपने मेडिकल ज्ञान का दुरुपयोग कर रहा था।

बेहद ही खतरनाक मिशन पर काम कर रहा था रहमान
नाम उजागर नहीं करने का अनुरोध करते हुए जांच से जुड़े NIA अधिकारियों ने बताया कि रहमान लेजर-गाइडेड सिस्टम पर एक परियोजना विकसित करने के लिए ऑप्थेलमिक संबंधी लेजर ज्ञान का इस्तेमाल कर रहा था, जिसके माध्यम से ISIS के लाभ के लिए लेजर तकनीक के माध्यम से एक अनगाइडेड मिसाइल के ट्रैजेक्टरी को बदला जा सकता है। NIA ISKP मामला दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा मार्च 2020 में जामिया नगर इलाके के ओखला विहार से वानी और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद दर्ज किया गया है। NIA ने 20 मार्च, 2020 को जांच अपने हाथ में ले ली थी।

संदेशों पर नकेल कसने के लिए FBI की मदद ले चुका है NIA
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब NIA ने IS आतंकवादियों के साथ-साथ हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के संबंध में जांच की है। इससे पहले, NIA ने फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले मामले में अपनी जांच के सिलसिले में आतंकवादियों के संदेशों पर नकेल कसने के लिए FBI की मदद ली थी, जिसमें 40 सीआरपीएफ के जवान मारे गए थे। NIA और खुफिया एजेंसियों ने अपनी जांच में पहले पाया था कि जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी भारत और विदेशों में अपने समकक्षों के साथ संवाद करने के लिए पीयर-टू-पीयर सॉफ्टवेयर सेवा, YSMS, या एक सिमिलर मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रहे थे।

‘थ्रीमा से हुए कॉल या संदेश का पता लगाना बेहद कठिन’
जांच से जुड़े एक NIA सूत्र ने बताया, ‘आतंकवादी थ्रीमा एप्लिकेशन के साथ-साथ इसके डेस्कटॉप संस्करण का भी इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि यह न्यूनतम डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ता है जिससे इसे वापस ट्रेस करना लगभग असंभव हो जाता है। संदेश का पता लगाना या थ्रीमा से हुए कॉल का पता लगाना कठिन है।’ NIA अधिकारियों के अनुसार, थ्रीमा एक सुरक्षित मैसैजिंग प्लेटफॉर्म है, जिसे स्विट्जरलैंड में विकसित किया गया है और यह आईफोन और एंड्रॉयड स्मार्टफोन के लिए एक पेड ओपन-सोर्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड इंस्टेंट मैसेजिंग एप्लिकेशन है।

‘थ्रीमा यूजर के सभी ट्रैक को छुपाता भी है’
सूत्र ने कहा कि थ्रीमा पर यूजर को एक अकाउंट बनाने के लिए एक ईमेल पते या फोन नंबर दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है, इस प्रकार यूजर को बहुत उच्च स्तर की गुमनामी के साथ इसकी सर्विस इस्तेमाल करने का मौका मिलता है। सूत्र ने कहा कि थ्रीमा यूजर के सभी ट्रैक को छुपाता भी है। सूत्र ने दावा किया कि थ्रीमा पर सर्वर के बजाय कॉन्टैक्ट और संदेशों को यूजर के डिवाइस पर संग्रहीत किया जाता है। अधिकारी ने कहा कि मोबाइल एप्लिकेशन के अलावा, Threema का एक ब्राउजर-बेस्ड सुरक्षित डेस्कटॉप चैट विकल्प भी है जो यूजर के आईपी एड्रेस या मेटाडेटा को लॉग नहीं करता है।

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