जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों को बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता मिली, जब हिज्बुल मुजाहिदीन का एक शीर्ष कमांडर रियाज नायकू उनके हाथों मारा गया। सुरक्षा बलों को नायकू की आठ वर्षों से तलाश थी। वह अपने ही गांव में घिरने के बाद सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया। कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की आशंका के चलते अधिकारियों को घाटी में निजी आपरेटरों की मोबाइल टेलीफोन सेवाएं और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं।
पुलिस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि लोगों की आवाजाही पर भी सख्त पाबंदियां लगा दी गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि एक अन्य गांव में मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए जिनकी अभी पहचान नहीं की जा सकी है। अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिज्बुल मुजाहिदीन के ऑपरेशनल कमांडर रियाज नायकू को पुलवामा के बेगपुरा गांव में घेर लिया गया था। मुठभेड़ में वह मारा गया। उसके साथी ने भागने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों के हाथों वह भी मारा गया। तीन मई को हंदवाड़ा में दो सैन्य अधिकारी कर्नल आशुतोष शर्मा ओर मेजर अनुज सूद सहित आठ सुरक्षा कर्मी आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। हाल के वर्षों में सेना को हुआ यह सबसे बड़ा नुकसान है। 32 वर्षीय नायकू पर 12 लाख रुपये का इनाम था और तीन बार वह पुलिस के हाथों से बच निकला था।
एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बार पूरी सावधानी बरती गई और यह भी ध्यान रखा गया कि अन्य किसी तरह का नुकसान न होने पाए। अभियान की जानकारी देते हुए अधिकरियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने मंगलवार को नायकू के ठिकाने का पता लगा किया। लेकिन तत्काल अभियान शुरू करने के बजाय सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी की और सारे रास्ते बंद कर दिए ताकि तीन बार भाग चुका नायकू इस बार बचने न पाए। अधिकारियों ने बताया कि सेना की इकाइयों ने जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूहों के साथ मिल कर तड़के कार्रवाई शुरू की। नायकू और उसके साथी ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद मुठभेड़ होने लगी।
सीआरपीएफ और पुलिस बल ने लोगों को मुठभेड़ स्थल से दूर रखते हुए बाहरी घेरा बनाया। दोपहर को एक आतंकवादी सुरक्षा बलों पर अंधाधुंध गोली चलाते हुए मकान से बाहर आया और भागने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। तत्काल यह पता नहीं चल पाया था कि मारा गया आतंकवादी नायकू था या उसका साथी। पुलिस के एक प्रवक्ता ने सुबह बताया था कि मुठभेड़ में एक शीर्ष आतंकवादी कमांडर के साथ उसके साथी को घेर लिया गया है लेकिन उन्होंने उसकी पहचान नहीं बताई थी।
बाद में अधिकारियों ने बताया कि यह नायकू था जिसकी वह आठ वर्ष से तलाश कर रहे थे। जुलाई 2016 में घाटी में आतंकवाद का चेहरा रहे बुरहान वानी की मौत के बाद नायकू आतंकवादी समूह का प्रमुख बन गया। वहीं शारशाली गांव में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए जिनकी अभी पहचान नहीं की जा सकी है। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने गांव में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद वहां की घेराबंदी की और तलाशी अभियान चलाया। तलाशी अभियान उस समय मुठभेड़ में तब्दील हो गया जब आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चलानी शुरू की। अधिकारियों ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी मारे गए।