संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन और नक्सली संगठन बच्चों को भर्ती कर रहे हैं। गुटेरस ने भारत सरकार से भर्ती होने वाले बच्चों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। गुटेरस की 2017 की 'सशस्त्र लड़ाई में बच्चे' रिपोर्ट में 'जैश-ए-मोहम्मद' और 'हिजबुल मुजाहिदीन' को बच्चों को उनके सशस्त्र अभियान में भर्ती करने वाले संगठन बताया था। रिपोर्ट के अनुसार, "संयुक्त राष्ट्र को बच्चों को भर्ती करने, जिसमें विशेषकर झारखंड और छत्तीसगढ़ में माओवादियों द्वारा बच्चों को भर्ती किया जा रहा है, की खबरें मिल रही हैं। झारखंड में नक्सलियों द्वारा बच्चों को भर्ती करने के लिए लॉटरी व्यवस्था चलाने का जिक्र किया गया।"
रिपोर्ट में आगे लिखा है, "इसके अतिरिक्त बच्चों को भर्ती करने तथा उन्हें जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रीय सुरक्षा बलों से संघर्ष के संदर्भ उपयोग करने के तीन मामलों की खबर मिली। जहां एक मामला जैश-ए-मोहम्मद का है, तो दो मामले हिजबुल मुजाहिदीन के हैं।" गुटेरस द्वारा इसी सप्ताह महासभा में पेश की गई रिपोर्ट में हालांकि असत्यापित खबरों का भी उल्लेख किया गया है जो संकेत देती हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा बल बच्चों का उपयोग खबरी या जासूस के रूप में करते हैं। गुटेरस ने कहा कि वे सरकार को बच्चों को भर्ती करने वाले अपराधियों को रोकने तथा बच्चों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ कदम मिलाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, "राष्ट्रीय सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादी संगठनों के खिलाफ अभियान में बच्चों के मरने और घायल होने की खबरें लगातार आ रही हैं।" सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार इस रिपोर्ट ने कहा कि माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में 188 नागरिकों की मौत हुई है लेकिन उनमें बच्चों की संख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं हुआ।
रिपोर्ट ने एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि कश्मीर में पुलवामा जिला के पदगमपोरा गांव में राष्ट्रीय सुरक्षा बलों ने कथित लश्कर-ए-तैयबा से मुठभेड़ में 15 वर्षीय एक लड़के को मार डाला। बच्चे हिंसा से अन्य प्रकार से भी प्रभावित होते हैं जैसे माओवादियों और सुरक्षाबलों की कार्रवाई से स्कूल बंद हो जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अप्रैल में श्रीनगर में लगभग 20 ऐसे स्कूलों की पहचान की थी। कश्मीर में तनाव बढ़ने से राजौरी जिले में 65 तथा पुंछ में 76 स्कूल अलग-अलग अवधि के लिए बंद रखे गए। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2ृ017 में बाल श्रम सम्मेलन के सबसे खराब प्रपत्रों पर हस्ताक्षर कर भारत का स्वागत किया। यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 1999 में अनुग्रहीत किया था जिसमें बच्चों की बंधुआ मजदूरी, तस्करी, यौन शोषण और सशस्त्र संघर्ष में भर्ती को प्रतिबंधित कर दिया था।