नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पिछले एक साल में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। यह कमी करीब 36 फीसदी की है। पिछले साल 30 जून तक जहां राज्य में आंतक से जुड़ी 105 घटनाएं हुई थीं वहीं इस साल 16 जुलाई तक केवल 67 घटनाएं हुई हैं। स्थानीय आतंकियों की भर्ती में भी गिरावट हुई है। इस साल 16 जुलाई तक स्थानीय आतंकियों की भर्ती से जुड़ी 57 घटनाएं सामने आई हैं जबकि पिछले साल जून तक ऐसी 73 घटनाएं सामने आई थीं।
केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने इस सकारात्मक बदलाव के लिए प्रशासन द्वारा जम्मू-कश्मीर के युवाओं को रोजगार और उद्दमशीलता की ओर प्रेरित करना और खेल जैसी मनोरंजक गतिविधियों में शामिल करने के ठोस प्रयासों को अहम बताया। इस साल 16 जुलाई तक आतंकवादी में शामिल होने वाले 57 स्थानीय लोगों में से 34 को निष्प्रभावी कर दिया गया है और 11 ने सरेंडर कर दिया है, केवल 12 नए बहाल आतंकी ही अभी एक्टिव हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित ये आंकड़े टीओआई द्वारा जुटाए गए हैं।
इस साल 16 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में 78 आतंकवादी मारे गए, जबकि 2020 की पहली छमाही में 123 आतंकी मारे गए थे। अधिकारियों ने कहा कि इस संख्या में कमी बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के कारण हुई। कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण लगाया गया लॉकडाउन भी इसकी एक वजह रही। एक अधिकारी ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में मुठभेड़ तेज हो गई है और कई आतंकवादी मारे गए हैं।"
इस साल 16 जुलाई तक सुरक्षा बलों के लगभग आधा दर्जन जवान मारे गए, जबकि 2020 तक 62 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। साथ ही, इस साल (16 जुलाई तक) आतंकवादियों के हाथों 14 नागरिक मारे गए, जबकि पिछले साल 37 मारे गए थे। आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या में गिरावट के बारे में बताते हुए, एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए कर्मशियल वाहनों की पेशकश, कौशल विकास और खेल और अन्य मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं को रचनात्मक चीजों से जोड़ा गया।इनके माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद मिली।