नई दिल्ली: पाकिस्तान की सेना भारत के अंदर खास तौर से कश्मीर में 18 अक्टूबर के बाद तहरीक-ए-तालिबान (जैश के बदले हुए नाम) के मानव बमों के जरिए बड़े आतंकी हमले की फिराक में है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आईबी ने अपनी रिपोर्ट में हमलों की आशंका जताई है। सूत्रों ने बताया कि इस संबध में आईबी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रिपोर्ट सौंपी है जिसमें अमेरिका की खुफिया एंजेंसी को मिले इनपुट का भी जिक्र किया गया है।
18 अक्टूबर के बाद हमला क्यों?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि आतंकी हमलों के लिए 18 अक्टूबर के बाद की तरीख क्यों रखी गई है? दरअसल 13 से 18 अकटूबर के बीच एफएटीएफ की बैठक पेरिस में होनी वाली है जिसमें पाक प्रायोजित आतंकवाद पर चर्चा होनी है। भारत अपनी तरफ से पूरा दबाव बना रहा कि पाकिस्तान को आतंकी स्टेट घोषित कर सभी नए आतंकी संगठनों पर बैन लगा दिया जाए जो अब नए नाम से फलफूल रहे हैं। इसलिए पाकिस्तान पर पूरी दुनिया का दबाव है।
पाकिस्तान के आग्रह को चीन ने अनसुना किया
पाकिस्तान ने चीन से आग्रह किया था कि वह भारत द्वारा अनुच्छेद 370 खत्म करने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान का समर्थन करे लेकिन चीन ने पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किया और इसे घरेलू मुद्दा बता दिया। इससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। वहीं दिलचस्प बात ये है कि एफएटीएफ में चीन को-कन्वीनर की भूमिका में है जबकि चीन की कन्वीनर के तौर पर उम्मीदवारी का भारत समर्थन कर रहा है। यह बेहद रणनीतिक चाल है। एफएटीएफ में बैन से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति रसातल में जाने का अंदेशा है।
मोदी-शी मुलाकात
चीन के राष्ट्रपति 12 अक्टूबर को भारत आ रहे हैं और नरेंद्र मोदी से उनकी मुलकात होगी। ठीक इसी समय 13 अक्टूबर से एफएटीएफ की बैठक होगी। इमरान खान ने पाकिस्तान आर्मी के दबाव में आकर चीन से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान और चीन की एकजुटता के लिए चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे को रीशिड्यूल करे। नरेंद्र मोदी इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से किर्गिस्तान के बिश्केक में मिले थे। अब इस बार मोदी-शी की मुलकात चेन्नई के पास महाबलिपुरम में समुद्र के किनारे होगी। चीन का एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही चेन्नई पहुंच चुका है। वहीं अमेरिका भी चीन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए राजी हो गया है। इन दोनों राष्ट्रों के बीच बातचीत 11 अक्टूबर को होगी जब चीन के उप-राष्ट्रपति लियु ही वाशिंगटन दौरे पर जाएंगे।
पाकिस्तान पूरी तरह से हताश
विश्व की बड़ी शक्तियों के बीच बनते इस समीकरण से पाकिस्तान पूरी तरह से हताश हो गया है और ऐसी स्थिति में वहां की सेना, आईएसआई और आतंकी संगठन कुछ बड़ा करने की सोच रहे हैं। इस योजना के तहत जैश के मानव बम जम्मू बॉर्डर के पुंछ या राजौरी सेक्टर से भारत की तरफ दाखिल होने की योजना बना रहे हैं या फिर पाक अधिकृत कश्मीर से नियंत्रण रेखा को पार करने की योजना है जहां पाकिस्तानी सेना ने कई लॉन्च पैड बना रखा है। इतना ही नहीं आईएसआई ने अमृतसर, पठानकोट एयरपोर्ट या गुजरात के कई इलाकों खास तौर से कच्छ और अन्य तटवर्ती इलाकों में मानव बमों का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है।
आतंकियों के टारगेट
अब सवाल उठता है कि इन आतंकियों के टारगेट पर कौन-कौन सी जगहें और उनकी कार्यप्रणाली क्या रहेगी? सूत्रों के मुताबिक इन आतंकियों के निशाने पर रेलवे स्टेशन, ट्रेनें, बस अड्डे, पर्यटक, दूतावास, कुछ राजनेता और आम आदमी हैं। हमले के लिए एके-47, हथगोले का इस्तेमाल किया जा सकता है। आतंकवादी बस को हाईजैक कर सकते हैं। इसके अलावा वे अन्य विकल्पों पर भी वे विचार कर रहें हैं लेकिन भारत की खूबी इसका खुफिया नेटवर्क इतना मजबूत है कि आतंकी अपने मंसूबों में पूरी तरह कामयाब नहीं हो सकते। इस स्थितियों पर विचार करतेहुए पाकिस्तान ने आत्मघाती मानव बम का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है और वे इसी योजना को मूर्त रूप देना चाहते हैं। मुंबई के कुछ अहम स्थान भी आतंकियों के निशाने पर हैं। चर्च गेट, सीएसटी स्टेशन समेत कुछ प्रसिद्ध मंदिर को आतंकी निशाना बना सकते हैं।
एनएसए और गृह मंत्री की योजना
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और गृह मंत्री ने हाल में आकस्मिक योजना तैयार की है। इस योजना के तहत घाटी में धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील दी जाएगी लेकिन धारा 144 कम से कम एक साल तक लागू रहेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का दफ्तर, इन सभी ने मिलकर एक सभी संभावित खतरों को चेक करने और उससे निपटने के लिए एक नया मॉड्यूल तैयार किया है। इस पूरे मैकेनिज्म के हेड गृह मंत्री अमित शाह हैं। यह सीसीएस के अंतर्गत आता है लेकिन ऑपरेशनल मॉड्यूल के तहत अधिकारी और सेना के लोग काम करते हैं। आपको बता दें कि भारत में सेना सीसीएस का हिस्सा नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह 1965 और 1999 में करगिल में खुफिया एजेंसियों की विफलता का भी अध्ययन कर रहे हैं ताकि यह मॉड्यूल दोषमुक्त रह सके।
अमित शाह के सात सूत्र
भारतीय सुरक्षा बलों को मिसगाइड करने के लिए आतंकी संगठनों की तरफ से ज्यादा से ज्यादा गलत संकेत दिये जाते हैं। कुछ शरारती तत्व भी झूठे कॉल करते हैं। इतना ही नहीं मीडिया हाउस में गलत कॉल किये जाते हैं। इन सब परिस्थितियों में अलर्ट जारी कर दिया जाता है लेकिन कुछ ऐसा नहीं होता। यह एक मुश्किल स्थिति होती है लेकिन गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि वास्तविक अलर्ट और शरारती कॉल का जवाब देने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के पास उचित उपकरण या सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए। बार-बार अलर्ट से घबराहट पैदा होती है और इसके प्रभाव को नियमित और हल्के रूप में लिया जा सकता है। इसलिए गलत अफवाह को हैंडल करना भी एक कला है। गलत कॉल या अफवाहों का पता लगाने के लिए और पाकिस्तान के आतंक का मुकाबला करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने 7 सूत्र विकसित किए हैं।