Monday, November 25, 2024
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लॉकडाउन में अपने बेटे को वापस घर लाने के लिए एक मां ने 1400 किलोमीटर स्कूटी चलाई

ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में पड़ोस में जाना मुश्किल हो रहा है, तेलंगाना की एक महिला ने आंध्र प्रदेश में फंसे अपने बेटे को वापस लाने के लिए 1400 किलोमीटर स्कूटी चलाई।

Reported by: IANS
Updated on: April 10, 2020 14:44 IST
Telangana Corona Lockdown Latest Update Today, Telangana Woman Drive Scooty to 1400KM, - India TV Hindi
तेलंगाना की एक महिला ने आंध्र प्रदेश में फंसे अपने बेटे को वापस लाने के लिए 1400 किलोमीटर स्कूटी चलाई। Facebook

हैदराबाद: ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में पड़ोस में जाना मुश्किल हो रहा है, तेलंगाना की एक महिला ने आंध्र प्रदेश में फंसे अपने बेटे को वापस लाने के लिए 1400 किलोमीटर स्कूटी चलाई। बोधन कस्बे की स्कूल शिक्षिका रजिया बेगम बुर्का पहनकार अपने दोपहिए से निकली और कई बाधाओं को पार करते हुए नेल्लोर जिले तक की यात्रा कर और अपने बेटे को वापस ले आईं। उनका बेटा मोहम्मद निजामुद्दीन नेल्लोर जिले के रहमतबाद में लगभग 2 सप्ताह से अटका हुआ था।

6 अप्रैल की सुबह शुरू की यात्रा

हैदराबाद के एक निजी कॉलेज में इंटरमीडिएट सेकंड ईयर (12वीं कक्षा) का छात्र निजामुद्दीन अपनी वार्षिक परीक्षा के बाद अपने दोस्त के साथ रहमतबाद गया था। लॉकडाउन होने के बाद सभी परिवहन सुविधाएं बंद होने से वह वहीं फंस गया था। तब अपने बेटे को वापस लाने के लिए रजिया बेगम ने लंबी यात्रा करने का फैसला किया। रजिया एक प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य करती हैं। उन्होंने सहायक पुलिस आयुक्त वी. जयपाल रेड्डी से संपर्क कर एक अनुमति पत्र लिया और 6 अप्रैल की सुबह रहमतबाद के लिए रवाना हुईं।

गूगल मैप्स ने पहुंचाया रहमताबाद
हालांकि पुलिस ने उन्हें कई बैरिकेड और चेकपोस्ट पर रोका लेकिन उन्होंने एसीपी का पत्र दिखाया और फिर पुलिस अधिकारियों को आगे की यात्रा करने की अनुमति देने के लिए राजी किया। कमाल की बात ये है कि वे कभी स्कूटी पर शहर से बाहर नहीं निकली थीं लेकिन गूगल मैप्स और स्थानीय लोगों की मदद से 700 किलोमीटर दूर रहमतबाद पहुंचने में सफल रहीं। महिला ने कहा, ‘मैं केवल कुछ ब्रेक लेने के लिए चेकपोस्ट पर रुकती थी और फिर अपनी यात्रा पर निकल जाती थी।’

बेटे के प्यार ने काम किया आसान
महिला के 2 बेटे और एक बेटी हैं। वह अपने बेटे को लेकर 7 अप्रैल की शाम बोधन के लिए रवाना हुई और अगले दिन घर पहुंची। जाहिर है दूरी लंबी थी लेकिन बेटे के लिए उनकी चिंता और प्यार ने इस काम को आसान बना दिया। उन्होंने कहा, ‘यदि आप दृढ़ संकल्पित हैं तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।’

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