नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अकेले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG ) पर 10 फीसदी टैक्स से किसानों के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी और 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए महत्वकांक्षी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के लिए फंड की जरूरत पूरी हो जाएगी। आज रात प्रसारित इंडिया टीवी बजट कॉन्क्लेव में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए जेटली ने कहा, यह गलत धारणा है कि LTCG टैक्स से छोटे निवेशक प्रभावित होंगे। हकीकत में विदेशी वित्तीय संस्था और बड़े कॉरपोरेट घराने LTCG का लाभ ले रहे हैं। अकेले पिछले साल LTCG से 3,67,000 करोड़ का लाभ हुआ जो कि टैक्स के दायरे से बाहर था। इस साल हमलोगों ने 10 फीसदी टैक्स लगाया है और यह अकेले न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना दोनों के लिए पैसों की जरूरत को पूरी करेगा।
जेटली ने कहा,' जो लोग भी अमीर और सक्षम हैं उन्हें गरीबों की मदद करनी चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री के पास मुश्किल फैसले लेने की क्षमता है और नोटबंदी इन्हीं में से एक फैसला था। मैं जानता हूं कि इसमें जोखिम है लेकिन ऐसे कठिन फैसले लिए जाने चाहिए।'
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की टिप्पणी ‘स्वास्थ्य सेवा योजना एक जुमला है’, पर जेटली ने कहा, ‘मैं कांग्रेस नेताओं की बातों पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता। 70 साल बाद हम एक महत्वाकांक्षी हेल्थकेयर स्कीम के साथ आए हैं जिसके अंतर्गत 40 प्रतिशत गरीब परिवार आएंगे। बजट से पहले, नीति आयोग ने पब्लिक हेल्थ पर हमारे सामने जो प्रेजेंटेशन दिया था उसमें इसे यूनिवर्सल बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन हमने इसे पहले 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों के साथ शुरू करने का फैसला किया। इस योजना पर 6-7 हजार करोड़ रुपये से लेकर 10 हजार करोड़ रुपये तक का खर्च आ सकता है। 24-25 लाख करोड़ रुपये के बजट में, मैंने इस योजना के लिए अलग से 2,000 करोड़ रुपये रखे हैं और आवश्यक होने पर और अधिक धन उपलब्ध कराएंगे।’
हेल्थकेयर स्कीम को लागू करने के लिए अस्पतालों की उपलब्धता पर जेटली ने कहा, ‘अधिकांश टायर-1 और टायर-2 शहरों में बड़ी संख्या में अस्पताल मौजूद हैं, लेकिन जिलों में 400-500 बेड के अस्पतालों की जरूरत होती है। एक बार फंडिंग का मैकेनिज्म निश्चित होने के बाद हम उम्मीद करते हैं कि अन्य लोग भी सामने आएंगे। यह सेवा और व्यवसाय दोनों है। इस योजना को राज्य सरकारों की मदद से लागू किया जाएगा।’
जेटली ने यह भी याद दिलाया कि जीएसटी काउंसिल सहकारी संघवाद का एक मॉडल था, जहां केंद्र और राज्य दोनों एक साथ बैठते हैं और टैक्स की दर तय करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम इसी तरह राज्य के सहयोग से कृषि, स्वास्थ्य सेवाओं और समाज कल्याण की योजनाओं को भी लागू करेंगे।’