चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु विधानसभा में बहुमत परीक्षण पर और 18 विधायकों के निष्कासित होने के बाद खाली हुई सीटों पर चुनाव पर लगी रोक बरकरार रखी है। विधानसभा अध्यक्ष ने टी.टी.वी. दिनाकरण की अगुवाई वाली एआईएडीएमके के विद्रोही समूह के 18 विधायकों को निष्कासित कर दिया था। जस्टिस रविचंद्रबाबू ने अपने पहले के आदेश को बरकरार रखने के आदेश दिए और निष्कासित होने के संबंध में दायर की गई याचिका की सुनवाई नौ अक्टूबर तक टाल दी।
निष्कासित विधायकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को 'असंवैधानिक' करार दिया क्योंकि उन्होंने 'पक्षपातपूर्ण' तरीके से काम किया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को 'अज्ञात, अहस्ताक्षरित और असत्यापित' तरीके से सरकारी व्हिप के आधार पर निष्कासित कर दिया गया। सिंघवी ने कहा कि विधायक को दल-बदल कानून के प्रावधानों के तहत निष्कासित नहीं किया जा सकता क्योंकि ये लोग पार्टी के खिलाफ नहीं गए हैं और केवल भ्रष्ट मुख्यमंत्री को हटाने के लिए राज्यपाल को याचिका दी थी।
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम और 11 विधायकों को निष्कासित करने की याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन लोगों ने इस वर्ष की शुरुआत में सरकार के खिलाफ मतदान किया था। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अदालत में हाजिर वरिष्ठ वकील आर्यमान सुंदरम ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने विस्तृत शपथ पत्र में सभी आरोपों को निराधार बताया है और प्राकृतिक न्याय की कोई अवहेलना नहीं हुई है।