अरियालुर (तमिलनाडु): नीट आधारित मेडिकल परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने वाली 17 वर्षीय दलित लड़की ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। तमिलनाडु को राष्ट्रीय प्रवेश-योग्यता परीक्षा नीट के दायरे से छूट नहीं दिये जाने के बारे में जानकर अनिता कथित तौर पर परेशान थी। एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी का सपना एक डॉक्टर बनने का था। पुलिस ने बताया कि वह इस जिले में एक गांव के अपने घर में फांसी से लटकी हुयी मिली। ये भी पढ़ें: बकरीद पर कुर्बानी के खिलाफ खड़ा हुआ मुस्लिम समाज, जानें क्या है पूरा मामला
उसने पिछले महीने केवल नीट के अंको के आधार पर स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश की मांग करने वाली एक याचिका के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पुलिस ने बताया कि वह मामले की जांच कर रही है। इस बीच, स्थानीय लोगों ने गांव में रोड रोको का आयोजन किया और लड़की की मौत को लेकर अन्नाद्रमुक की अगुवाई वाली राज्य सरकार की निंदा की।
19 साल की अनिता दलित श्रमिक की बेटी थी। तमिलनाडु बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में उसने 1200 में से 1176 अंक हासिल किए थे। लेकिन वह नीट में 700 में से महज 86 अंक ही स्कोर कर पाई थी। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि उसने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कॉलेज में स्थान पा लिया था।
गौरतलब है कि तमिलनाडु ने इस वर्ष नीट से राज्य को बाहर रखने के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तमिलनाडु की अधिसूचना का वह समर्थन नहीं करता। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को नीट के आधार पर ही प्रवेश देने का आदेश दिया था। एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी का सपना एक डॉक्टर बनने का था।