Friday, November 22, 2024
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काबुल से भारत लौटे शैलेंद्र ने बताया एयरपोर्ट के बाहर तालिबान ने क्या किया, भूलना चाहते हैं दर्दनाक अनुभव

घर पहुंचते ही शैलेंद्र शुक्ला ने चैन की सांस ली और कहा कि वह उन 48 घंटों के दर्दनाक अनुभव को भूलना चाहते हैं, जो उन्होंने काबुल में खौफ के साए में रहते हुए बिताए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 24, 2021 17:55 IST

गोरखपुर. अफगानिस्तान से हर भारतीयों को रेस्क्यू करने का अभियान अभी जारी है। आज भी भारतीय नागरिकों के साथ  अफगानी सिखों का एक  बड़ा समूह भारत आ रहा है। अफगानिस्तान से सभी भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाया जा सके इसके लिए भारत सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। इस बीच अमेरिका भी ये मान रहा है कि अफगानिस्तान में चल रहा ऑपरेशन बेहद मुश्किल है और तालिबानी इसमें लगातार अड़ंगा लगा रहे हैं। ऐसा ही कुछ हुआ काबुल एयरपोर्ट पर पहुंच रहे भारतीय लोगों के एक ग्रुप के साथ, जिसे तालिबानी लड़ाके अपने साथ ले गए और 4 घंटों तक दूसरे स्थान पर रखा। सोमवार को अफगानिस्तान से गोरखपुर लौटे चौरी-चौरा के शैलेंद्र शुक्ला ने ये पूरा वाक्या बताया। 

घर पहुंचते ही उन्होंने चैन की सांस ली और कहा कि वह उन 48 घंटों के दर्दनाक अनुभव को भूलना चाहते हैं, जो उन्होंने काबुल में खौफ के साए में रहते हुए बिताए। 40 साल के शैलेंद्र शुक्ला ने बताया कि उन्हें और उनके साथियों काबुल एयरपोर्ट पहुंचने का प्रयास कर रहे थे तभी तालिबान के 10 लड़ाकों के एक समूह ने उन्हें पकड़ कर बंधक बना लिया। हालांकि मामले की सूचना लगते ही अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास और मीडियाकर्मी हरकत में आए और इन लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला गया। शैलेंद्र काबुल में एक निजी फर्म में मशीनों के रखरखाव के लिए ढाई महीने के लिए 16 जुलाई को काबुल गए थे, लेकिन तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद उन्हें तुरंत वापस लौटना पड़ा।

शैलेंद्र ने जब उन्होंने अपनी आपबीती बतायी तो उनके दो बेटे और पूरा परिवार भावुक हो गया। शैलेंद्र ने स्वदेश लौटने में उनकी मदद करने के लिए सरकार और मीडिया को धन्यवाद दिया। अफगानिस्तान के खौफनाक अनुभवों को याद करते हुए शुक्ला ने बताया,"तालिबान का काबुल पर कब्जा होने के बाद हमारे कारखाने के मालिक ने सुरक्षा कारणों से हमें बाहर जाने की अनुमति नहीं दी, लेकिन हम लगातार भारतीय दूतावास और मीडिया के संपर्क में थे। भारतीय दूतावास ने हमें काबुल के खलीज हॉल में इकट्ठा किया और हमें दूतावास के समन्वयक (कोआर्डिनेटर) के साथ छह बसों में शाम को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ले जाया गया, जहां रात भर हम हवाई अड्डे से बाहर अपनी बसों में ही बैठे रहे।"

उन्होंने बताया,"सुबह आठ तालिबानियों ने हमारे समन्वयक को धमकाया और हमें उनके साथ चलने के लिए कहा। उन्होंने हमें साढ़े चार घंटे के लिए किसी जगह पर बैठाया, लेकिन जैसे ही सूचना मीडिया और भारतीय दूतावास तक पहुंची, वे नरम पड़ गए और हमें चाय और दोपहर के भोजन की पेशकश की और लगभग साढ़े चार घंटे के बाद हमें मुक्त कर दिया।’’ शैलेंद्र ने बताया,"हम 150 लोग भारतीय वायुसेना के विमान से रविवार को गाजियाबाद एयरबेस पहुंचे और फिर वायुसेना की बस से ही आनंद विहार रेलवे स्टेशन पहुंचे। वहां से हम आज दोपहर (सोमवार) करीब साढ़े बारह बजे गोरखपुर पहुंचे।"

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