नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारों को अपने राज्यों में किसानों को पराली जलाने से रोकने में सहायता के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी होती है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली एक पीठ ने राज्य सरकारों से अधिकरण के निर्देशों को लागू करने के लिए कहा जिसमें गरीब और सीमांत किसानों को मशीनरी मुहैया कराना शामिल है। अधिकरण ने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है और उद्योगों को कंपनियों के सामाजिक दायित्व के तहत किसानों की मदद करनी चाहिए। अधिकरण एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए मामले पर सुनवायी कर रहा था।
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पराली जलाने से हवा में कार्बन डाईआक्साइड के स्तर में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक अक्टूबर में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में वायु गुणवत्ता गिर जाती है क्योंकि किसान खेत में धान की फसल की मशीन से कटाई के बाद पराली को आग लगा देते हैं। इसमें यह भी दावा किया गया है कि गत दो वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने पराली जलाने पर रोक के लिए कई उपाय किये हैं।
अधिकरण ने इससे पहले कृषि मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया था कि वे वायु प्रदूषण से बचाव के लिए किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उन्हें आधारभूत सहायता मुहैया कराने के बारे में छह सप्ताह में एक स्थिति रिपोर्ट मुहैया करायें।