नई दिल्ली: योग गुरु स्वामी रामदेव ने आज कहा कि कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए 2 हजार रुपये के नोट प्रचलन से वापस लिये जाने चाहिए और वे अपनी इस मांग पर कायम हैं। आज दिनभर चले इंडिया टीवी संवाद बजट कॉन्क्लेव में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए स्वामी रामदेव ने कहा, ‘सभी लेनदेन (रुपये 2000 के नोट) पारदर्शी बनाए जाने चाहिए जिससे ईमानदार लोगों को किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़े। फिर भी मैं अपनी मांग पर कायम हूं कि 2000 रुपये का नोट बंद हो।'
यह पूछे जाने पर कि विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने की उनकी मांग का क्या हुआ, रामदेव ने कहा, 'सरकार ने बड़े नोट वापस लिए, कालेधन के बड़े कारोबारियों पर छापे मारे जा रहे हैं और जीएसटी लागू किया गया है।'
जब रजत शर्मा ने उनसे पूछा कि विदेशों से कितना धन वापस आया, रामदेव ने जवाब दिया, 'आया तो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा। जितना आना चाहिये उतना नहीं आया। देश की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है। कुछ ब्लैक मनी है और कुछ 'ब्लॉक मनी' है। देश की इंटरनल इकोनॉमी में भी बहुत बेहिसाब (unaccounted) धन है। उसे एक सही दिशा में लाने के लिए सरकार कोशिश कर रही है।'
पतंजलि जैसे बड़े FMCG साम्राज्य को चलाने वाले योग गुरु ने कहा, 'जीएसटी से पूरे देश में परेशानी है। 90 फीसदी लोगों को नहीं पता कि जीएसटी की रिर्टन कैसे भरी जाएगी। देश में अवेयरनेस लाने की जरूरत है। यहां बैठा कोई व्यक्ति क्या मुझे बता सकता है कि ट्रांस वन और ट्रांस टू फॉर्म क्या होता है? .. सरकार को एक बड़ी पहल करने की जरूरत है। व्यापारियों को यह बताने की जरूरत है कि कैसे जीएसटी रिटर्न भरी जाए।'
यह पूछे जाने पर कि क्या वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गौ मूत्र पर जीएसटी हटाने की उनकी मांग मान ली है, रामदेव ने कहा, 'हमारी जेटली जी से बात हुई है, वे इसे हटा लेंगे।'
योग गुरु ने बिना किसी हिचक के साफतौर पर कहा कि वे आयुष मंत्रालय के कामकाज से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मैं आयुष मंत्रालय के कार्य से खुश नहीं हूं। हमें नई दृष्टि से सोचने की जरूरत है। जिन लोगों का दखल योग और आयुर्वेद में है उन्हें आय़ुष मंत्रालय में बैठना चाहिये। लेकिन अगर कुछ लोग लॉबिंग करके बैठ जाएं, वो गलत हैं।'
'मोदी जी का गर्वनेंस बहुत जबरदस्त होता है। आयुष मंत्रालय उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। आयुष मंत्रालय बने 3 साल हो गए। 3 साल पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल की नियुक्ति का प्रस्ताव क्लीयर हुआ। कैबिनेट, फाइनांस (मिनिस्ट्री) ने क्लीयर किया। 3 साल तक किसी की नियुक्ति नहीं हुई। मुझे नहीं मालूम कौन सी लॉबी काम कर रही है।'
रामदेव ने कहा, 'आयुष मंत्रालय में योग, आर्युवेद सब है। थोड़ा दायित्व हमें मिलता तो हम मोदी सरकार की प्रतिष्ठा बढ़ाते और योग को आगे लेकर आते। लेकिन इसमें बहुत राजनीति चल रही है। जिन्हें खड़ा किया उनके बारे में नहीं बोलना चाहता हूं।'
'आजादी के बाद पहले स्वास्थ्य मंत्रालय को एलोपैथी मंत्रालय बनाया गया। उसके बाद अलग आयुष मंत्रालय भी बना तो उस पर जिस एग्रेशन से काम होना चाहिए नहीं हुआ। अब लगता है कि मोदी जी की दुविधा है। अगर वो आयुर्वेद पर कोई भी काम करेंगे तो लोग कहेंगे मोदी हुए बाबा (रामदेव)पर मेहरबान। आयुर्वेद में कोई भी काम करना है तो जिनके पास नॉलेज है, स्किल है, एक्सपर्टिज है, एक्सपेरियंस है और एग्रेसन है साथ ही परफॉर्मेंस है उनके बिना आयुर्वेद का उद्धार नहीं हो सकता। मैं ये कह रहा हूं कि अगर मोदी सरकार आयुर्वेद में काम करने का मौका दे तो हम थोड़े बजट में भी अच्छा काम कर सकते हैं.. और विदेशी कंपनियों के साथ-साथ एलोपैथी का भी शीर्षासन करा सकते हैं।'
स्वामी रामदेव ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतें कम करने की मांग की। 'पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतें कम होनी चाहिए और सरकार को कीमतें कम करने पर विचार करना चाहिए।'
बजट में गोबरधन परियोजना की घोषणा पर योग गुरु ने कहा, ‘लाखों करोड़ रुपया यूरिया और डीएपी में दिया था। उसमें भी घोटाले होते थे। मोदी सरकार ने इसे रोकने के लिए नीम कोटिंग शुरू किया। ऑर्गेनिक खेती को सरकार बढ़ावा दे रही है। गोबर की कीमत यूरिया से ज्यादा होनी चाहिए। सरकार की पहल एक अच्छी शुरूआत है। यह काम आगे बढ़ेगा तो लोगों को कैंसर जैसी बीमारी से निजात मिलेगी। 90 फीसदी कैमिकल पानी और हवा में चले जाते हैं। वह हमारे भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और हमें बीमारियां देते हैं।'
स्वामी रामदेव ने खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कुल लागत मू्ल्य से डेढ़ गुना ज्यादा बढाए जाने और 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने के सरकार के फैसले की तारीफ की।