नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का निधन हो गया है। 67 साल की उम्र में सुषमा स्वराज ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहीं थी। बता दें कि उनका किडनी ट्रासप्लांट भी हुआ था और बीमारी की वजह से ही मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने पर उन्होंने मंत्री पद लेने से मना कर दिया था। 2019 में विदिशा से उन्होंने दोबारा चुनाव भी नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री बनीं और संयुक्त राष्ट्र संघ में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने बड़ा ही प्रभावशाली भाषण दिया था।
जानें उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-
सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अम्बाला कैंट में 14 फरवरी, 1953 को हुआ था। उनके पिता आरएसएस के प्रमुख सदस्य थे। अम्बाला छावनी के एस.एस.डी. कॉलेज से बी.ए. करने के बाद उन्होंने चंडीगढ़ से कानून में डिग्री ली। 1973 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की जबकि उनका राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के साथ शुरू हुआ था। वे अपने छात्र जीवन से ही प्रखर वक्ता हैं।
उन्होंने आपातकाल के विरोध में सक्रिय प्रचार किया। जुलाई 1977 में उन्हें चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में एक कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। भाजपा लोकदल की हरियाणा में इस गठबंधन सरकार में वे शिक्षा मंत्री थीं। 27 वर्ष की उम्र में वे 1979 में जनता पार्टी (हरियाणा) की अध्यक्ष बन गई थीं। अप्रैल 1990 में सांसद बनीं और 1990-96 के दौरान राज्यसभा में रहीं। 1996 में वे 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गई और अटलबिहारी वाजपेयी की तेरह दिनी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहीं। 12वीं लोकसभा के लिए वे फिर दक्षिण दिल्ली से चुनी गईं और पुन: उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।
1998 में बनी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
अक्टूबर 1998 में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। बाद में जब विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गई तो वे राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं। वर्ष 1999 में उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी संसदीय क्षेत्र, कर्नाटक से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गईं। 2000 में वे फिर से राज्यसभा में पहुंचीं थीं और उन्हें पुन: सूचना-प्रसारण मंत्री बना दिया गया। वे मई 2004 तक सरकार में रहीं।
अप्रैल 2009 में वे मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और वे राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं। बाद में, विदिशा से लोकसभा के लिए चुनी गईं और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता रही हैं सुषमा स्वराज
उनके साथ कई अन्य विशेषताएं भी जुड़ी हैं। वे किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता, भाजपा की पहली महिला मुख्यमंत्री, पहली केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, महासचिव, प्रवक्ता और नेता प्रतिपक्ष रही हैं। वे भारतीय संसद अकेली महिला सांसद हैं जिन्हें असाधारण सांसद का पुरस्कार मिला है। साथ ही वे भाजपा की एकमात्र नेता हैं जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत, दोनों से चुनाव लड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से हुआ था सुषमा स्वराज का विवाह
तेरह जुलाई 1975 को उनका सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से विवाह हुआ था। वे तीन वर्ष तक मिजोरम के गवर्नर भी रहे हैं। उनकी एकमात्र संतान बांसुरी कौशल है जोकि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और इनर टेम्पल से कानून में बैरिस्टर की डिग्री ले चुकी हैं। अपने पिता की भांति वे भी आपराधिक मामलों की वकील हैं और दिल्ली हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं।