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सुशांत केस: रजत शर्मा ने कहा-'एक-दो चैनलों की ज्यादती की वजह से सब को दोष नहीं दिया जा सकता'

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग पर कहा है कि ज्यादातर न्यूज चैनलों ने सुशांत सिंह के केस में अच्छी रिपोर्टिंग की है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 05, 2020 14:34 IST
Rajat sharma, INDIA TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV सुशांत केस: रजत शर्मा ने कहा-'एक-दो चैनलों की ज्यादती की वजह से सब को दोष नहीं दिया जा सकता'

नई दिल्ली: न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग पर कहा है कि ज्यादातर न्यूज चैनलों ने सुशांत सिंह के केस में अच्छी रिपोर्टिंग की है। एक-दो चैनलों ने जरूर ज्यादती की। लेकिन इनकी वजह से सब को दोष नहीं दिया जा सकता। रजत शर्मा ने यह बात पत्रिका आउटलुक को दिए एक इंटरव्यू में कही। 

दो चैनलों की वजह से पूरी न्यूज ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री को शर्मिंदगी 

रजत शर्मा से जब यह सवाल किया गया कि सुशांत सिंह राजपूत केस में टीवी मीडिया में जिस तरह की कवरेज हो रही है, उसके बारे में आपकी क्या राय है? रजत शर्मा ने कहा- 'सारे  न्यूज चैनलों को ‘टीवी मीडिया’ कह कर उन पर कमेंट करना ठीक नहीं होगा। ज्यादातर न्यूज चैनलों ने सुशांत सिंह के केस में अच्छी रिपोर्टिंग की है। एक-दो चैनलों ने जरूर ज्यादती की। लेकिन इनकी वजह से सब को दोष नहीं दिया जा सकता। सच तो यह है ऐसी अति करने वाले दो चैनलों की वजह से पूरी न्यूज ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री को शर्मिंदगी महसूस हो रही है।'

मुंबई पुलिस ने केस को ठीक से हैंडल किया होता तो शायद यह नौबत नहीं आती
वहीं जब रजत शर्मा से यह पूछा गया कि जो काम पुलिस या जांच एजेंसियों को करना चाहिए, वह काम मीडिया कर रहा है? इस पर रजत शर्मा ने कहा-'सुशांत सिंह राजपूत की मौत जिन परिस्थितियों में हुई, उसे लेकर लोगों में जितनी उत्सुकता है, जिस तरह से यह मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है, उस लिहाज से देखेंगे तो इस केस की रिपोर्टिंग, जांच नहीं लगेगी। सुशांत एक सफल कलाकार थे, उनके पास काम था, पैसा था, परिवार था, अच्छा घर था, जान देने की कोई वजह नहीं थी, इसलिए यह मौत इतनी बड़ी स्टोरी बन गई। अगर मुंबई पुलिस ने इस केस को ठीक से हैंडल किया होता तो शायद यह नौबत ही नहीं आती। मुंबई पुलिस की अपनी एक प्रतिष्ठा है, उससे अपेक्षा थी कि वह इस मामले की तह में जाती। लेकिन दो महीने तक मुंबई पुलिस इस केस में फिल्म इंडस्ट्री का भाई-भतीजावाद ढूंढ़ती रही। एफआईआर तक दर्ज नहीं की। मुंबई पुलिस ने पटना से आए पुलिसवालों के साथ जिस तरह सलूक किया, एक आईपीएस अफसर को क्वारंटीन कर दिया, उससे बहुत सारे सवाल उठे। तो क्या मीडिया खामोश बैठा रहता?'

कुछ चैनलों ने जज बनने के चक्कर में रिपोर्टिंग की हद को पार कर दिया
कहीं मीडिया रिपोर्टिंग की आड़ में जज बनने की भूमिका तो नहीं निभा रहा? इस सवाल के जवाब में रजत शर्मा ने कहा-'ज्यादातर चैनल ने इस मामले की तहकीकात करने की कोशिश की, जज बनने की नहीं। ज्यादातर रिपोर्टर्स ने दोनों तरफ की जानकारियां दीं। लेकिन कुछ चैनलों ने जज बनने के चक्कर में रिपोर्टिंग की हद को पार कर दिया, जो कि गलत है। मैं तो यह मानता हूं कि रिपोर्टिंग के नाम पर किसी के साथ जबरदस्ती करना, किसी को परेशान करना गलत है। अगर आपके हाथ में माइक है और जेब में न्यूज चैनल का आई-कार्ड है, तो यह किसी को परेशान करने का लाइसेंस नहीं हो सकता। रिपोर्टर के लिए भी कुछ सीमाएं होती हैं, शालीनता का बंधन होता है। जो इनका उल्लंघन करें, उनके लिए न्यूज चैनल्स में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। ऐसे लोगों से पूरी न्यूज ब्रॉडकास्ट कम्युनिटी बदनाम होती है।'

टीवी पर वही दिखाया गया जो पब्लिक डोमेन में था
रिया चक्रवर्ती के प्राइवेट चैट को टीवी पर दिखाना और निजता का उल्लंघन से जुड़े सवाल पर रजत शर्मा ने कहा- 'टीवी पर वही दिखाया गया जो पब्लिक डोमेन में था, जगजाहिर था। दोनों तरफ के लोग, रिया पर आरोप लगने वाले हों या उनका साथ देने वाले - सब व्हॉट्सएप मैसेज लीक कर रहे हैं। और आजकल सोशल मीडिया के जरिए यह सब लीक करना आसान है। कई बार तो पता भी नहीं लगता कि यह कहां से आया, किसने जारी किया। जो बातें सबके सामने हैं उन्हें टीवी पर दिखाना निजता का उल्लंघन कैसे हो सकता है?'

मीडिया को तो सामने आना ही पड़ता है, यह हमारी जिम्मेदारी है
रजत शर्मा से जब यह पूछा गया कि इससे पहले आरुषि तलवार और शीना बोरा केस में भी मीडिया ने ऐसा ही किया। क्या इस बार इसकी अति नहीं हो गई? उन्होंने कहा-‘जब भी कोई ऐसा केस होता है, जहां पब्लिक की उत्सुकता होती है और जवाब नहीं मिलते, मीडिया को तो सामने आना ही पड़ता है। यह हमारी जिम्मेदारी है, हमारा फर्ज है। जब दूसरी एजेंसियां अपना काम ठीक से पूरा नहीं करतीं, जब लोग हर जगह से हताश हो जाते हैं तो मीडिया की तरफ देखते हैं। जेसिका लाल केस से लेकर निर्भया गैंगरेप केस तक इंसाफ दिलाने में मीडिया की अहम भूमिका रही है। अगर मीडिया ने समाज को न जगाया होता, तो बहुत से अपराधी जो आज सलाखों के पीछे हैं, खुलेआम घूम रहे होते।‘

टीवी पर वही दिखाया गया जो पब्लिक डोमेन में था
रिया चक्रवर्ती के प्राइवेट चैट को टीवी पर दिखाना और निजता का उल्लंघन से जुड़े सवाल पर रजत शर्मा ने कहा- टीवी पर वही दिखाया गया जो पब्लिक डोमेन में था, जगजाहिर था। दोनों तरफ के लोग, रिया पर आरोप लगने वाले हों या उनका साथ देने वाले - सब व्हॉट्सएप मैसेज लीक कर रहे हैं। और आजकल सोशल मीडिया के जरिए यह सब लीक करना आसान है। कई बार तो पता भी नहीं लगता कि यह कहां से आया, किसने जारी किया। जो बातें सबके सामने हैं उन्हें टीवी पर दिखाना निजता का उल्लंघन कैसे हो सकता है?

सारे न्यूज चैनल्स एनबीएसए के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हों
मीडिया में सेल्फ रेगुलेशन और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को ज्यादा पावर दिये जाने के सवाल पर रजत शर्मा ने कहा- ‘स्व-नियंत्रण (सेल्फ रेगुलेशन) बहुत प्रभावी सिद्ध हुआ है। जो  71  बड़े चैनल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैण्डर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) की गाइडलाइन्स का पालन करते हैं उनके बारे में अब शिकायतें बहुत कम मिलती हैं। जितने भी सवाल आपने उठाए हैं, उनमें से ज्यादातर उन चैनल को लेकर हैं जो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के सदस्य नहीं हैं। एनबीएसए एक स्वतंत्र संस्था है जिसके प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अर्जुन सीकरी हैं, उनकी देश में बहुत प्रतिष्ठा है। जितने लोग हमारे देश में न्यूज देखते हैं उनमें से 80 प्रतिशत दर्शक उन चैनल्स को देखते हैं, जो एनबीए के सदस्य हैं और इस नाते एनबीएसए के तहत आते हैं। एनबीएसए की गाइडलाइन्स काफी सख्त हैं, इसलिए जिन चैनल्स को  80 प्रतिशत लोग देखते हैं, वे नियंत्रण में हैं, मर्यादाओं का ध्यान रखते हैं। लेकिन जो 20 प्रतिशत इस दायरे से बाहर हैं उनमें से कुछ बेलगाम हैं। इसका नुकसान पूरी न्यूज ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री को हो रहा है। हम चाहते हैं सारे न्यूज चैनल्स एनबीएसए के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हों।

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