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भारत चीनी सैनिकों के बीच हिंसा का जानें क्या था कारण

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऊंचाई वाले इलाके में एक संकीर्ण पहाड़ी रास्ते पर चीनी सेना द्वारा निगरानी चौकी स्थापित किए जाने की वजह से भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हुयी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 17, 2020 20:06 IST
Surveillance post set up by Chinese on Indian side of LAC triggered clash
Image Source : PTI Surveillance post set up by Chinese on Indian side of LAC triggered clash

नयी दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऊंचाई वाले इलाके में एक संकीर्ण पहाड़ी रास्ते पर चीनी सेना द्वारा निगरानी चौकी स्थापित किए जाने की वजह से भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हुयी। इसमें 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। चीन ने समझौते का उल्लंघन कर वह चौकी बनायी थी। 

सूत्रों ने बताया कि दिवंगत कर्नल बी संतोष बाबू के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों ने गलवान नदी के दक्षिणी तट पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय क्षेत्र में चौकी बनाने पर कड़ी आपत्ति जताई और सोमवार शाम को उसे हटाने का प्रयास किया। इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुयी जो पिछले पांच दशक में सबसे बड़े सैन्य टकराव था। शिविर में मौजूद चीनी जवानों के एक छोटे समूह ने भारतीय गश्ती दल की आपत्तियों पर नाराजगी व्यक्त की लेकिन जल्द ही वे चीनी क्षेत्र में लौट गए। बाद में वे अधिक सैनिकों के साथ लौटे। और वे पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों जैसे घातक हथियारों से लैस होकर लौटे तथा भारतीय सैनिकों से भिड़ गए। 

घटना की जानकारी रखने वालों के अनुसार भारत की ओर से भी अतिरिक्त सैनिक पहुंच गए और वे अस्थायी ढांचे को हटाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने बताया कि चीनी सैनिकों ने भारतीयों जवानों पर बर्बरता से हमला किया और यह झड़प कई घंटों तक चली। इस दौरान सड़क का एक हिस्सा धंस गया और कुछ भारतीय तथा चीनी सैनिक गलवान नदी में गिर गए। अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके में हुयी इस झड़प में बाबू और 19 अन्य भारतीय जवान शहीद हो गए। 

समझा जाता है कि शुरू में चीनी सैनिकों ने कई भारतीय जवानों को पकड़ लिया था लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। भारतीय पक्ष ने भी दृढ़ता से जवाबी कार्रवाई की। लेकिन चीनी पक्ष के हताहतों की संख्या अभी तक ज्ञात नहीं है। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या 35 हो सकती है। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है।

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