सुरभि आर शर्मा
हम सब अपनी ज़िन्दगी में रिश्तों की डोर से बंधे है... कुछ पारिवारिक और कुछ सामाजिक ....कही प्यार का रिश्ता कही दोस्ती का....लेकिन इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी में, बिज़नेस टारगेट्स से जकड़ी ज़िन्दगी में ....क्या हमारे रिश्तों की वैल्यूज़ कायम है? कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सफलता के पीछे भागने की चाहत में अपनी पर्सनल लाइफ की छोटी छोटी बातों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, हमारे अपनों की उम्मीदों को हम ना चाहते हुए भी कभी कभी ध्यान नहीं देते।
ऑफिस आने जाने और बिज़नेस संभालने के इस दौर में अगर स्कूल लाइफ पर झलक डाले तो वो सबसे अच्छी लगती है ...यहां तक की लगता है कि इस सो कॉल्ड लाइफ स्टाइल से अच्छे तो examination रूम थे ...क्लासरूम एग्जाम रोज़-रोज़ के ज़िन्दगी के इम्तेहान से तो अच्छे ही थे ....क्योंकि उसमे हमारी मेहनत हमारी हार के लिए सिर्फ और सिर्फ हम ज़िम्मेदार थे.....लेकिन अब जो ज़िन्दगी का ये पड़ाव है...इसको जीने की ज़िम्मेदारी तो शायद काम की ज़िम्मेदारियों में छुप सी गयी है?? हम ये क्यों नहीं समझते की हम हर कदम रिश्तों के इम्तेहान में फेल साबित हो रहे है??...कितने ऐसे लोग है जो अपने आप को carry करने के स्टाइल के लिए फेमस है लेकिन अपने रिश्तों मे फेल??.... रिश्तों की एडवाइस देने के लिए वक़्त है लेकिन रिश्ता निभाने के लिए समझ धुंधली है??
क्या ज़रूरी है रिश्ते में...रिश्तों को निभाने के लिए??
#RESPECT:आदर करना (GIVE IT .....TO GET IT)
कितना मायने रखता है न ये शब्द हमारी ज़िन्दगी में और सिर्फ खुद की बात हो तो सेल्फ रिस्पेक्ट से बढ़ कर कुछ नहीं ....लेकिन क्या खुद से जुड़े वो लोग मायने नहीं रखते जो अपने है???
रिश्ते में एक दूसरे के आत्म सम्मान और छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा जाएगा तभी तो वो साथ निभेगा...मुझे लगता है एक दूसरे का आदर करना एक दूसरे की इज़्ज़त करना ये सब खुद पर निर्भर करता है....अगर इस बात के मायने समझे तो शायद आपका नजरिया...आपकी सोच ...आपकी समझ को ज़रूर बदल सकता है |
"In short Respect is the base of a relationship"....रिश्ते की नीव है respect.
#Trust:भरोसा: विश्वास (NO TRUST NO US)
कुछ दोस्ती,कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है जिन्हें वक़्त और मज़बूत बना देता है, सिर्फ एक भरोसे की ज़रूरत होती है जिसमें आप भले ही अपनों से दूर हो लेकिन वो भरोसा वो विश्वास आपको हमेशा सिक्योर फील कराता है कि यही विश्वास मेरी स्ट्रेंथ है जो मुझे इस रिश्ते के प्रति और मज़बूत बनाता है
#PERCEPTION (नज़रिया):
रिश्तों के प्रति नज़रिया भी हर रिश्ते को आसानी से संभाल सकता है|
क्या रिश्तों को समझने और उनकी एहमियत को जानने के लिए हमारा नजरिया ज़रूरी नहीं???
अगर हम समझते है की हर व्यक्ति अलग है तो उसके अलग नज़रिये को क्यों नहीं एक्सेप्ट कर पाते??
ज़ाहिर है उसकी सोच एक दम हमारी जैसी नहीं हो सकती तो उससे इतना ज़्यादा बदलने की उम्मीद करने से बेहतर है उसके व्यक्त्तिव को स्वीकार करो और साथ मिलकर एक अच्छी ज़िन्दगी जीने की कोशिश करो |
#IMPORTANCE (एहमियत):
भले ही हम प्रैक्टिकल हो...इंडिपेंडेंट हो...सक्सेसफुल हो...ज़िन्दगी के ये पल जीने के लिए हमारे अपने ही हमारे साथ रहेंगे इसलिए उनकी एहमियत समझना...उन्हें importance feel कराना भी सबसे ज़रूरी है
अपनों का साथ ...और शायद प्यार का ...रिश्तों का ये एहसास, ज़िन्दगी को जीने लायक तो बनाता ही है....लेकिन वक़्त रहते ज़िन्दगी को संभालने की कोशिशे की जाए तो शायद आप भी यह मान जाए कि....""ज़िन्दगी मिली है जीने के लिए ...उसको हंस कर जियो, साथ मिलकर जियो....क्योंकि आपकी ख़ुशी में ही अपनों की ख़ुशी है""
(ब्लॉग लेखिका सुरभि आर शर्मा देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्यूज एंकर हैं)