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सूरत का दिल 87 मिनट में पहुंचा मुम्बई, अब यूक्रेन में धड़केगा हिंदुस्तानी दिल

सूरत के ब्रेनडेड युवक का दिल अब किसी और की धड़कन बन गया है। सूरत से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट को 87 मिनट में मुम्बई ले जाया गया और यूक्रेन की महिला में ट्रांसप्लांट किया गया है।

IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 11, 2017 20:05 IST
Heart Transplant- India TV Hindi
Heart Transplant

सूरत: सूरत के ब्रेनडेड युवक का दिल अब किसी और की धड़कन बन गया है। सूरत से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट को 87 मिनट में मुम्बई ले जाया गया और यूक्रेन की महिला में ट्रांसप्लांट किया गया है। महज 22 साल का युवक दुर्घटना में ब्रेन डेड हो चुका था, परिजनों के अंगदान के फैसले के बाद एक मृत इंसान ने मौत के बाद भी छः लोगों को जीवन दान दिया। 

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22 साल का रवि निजी इंश्योरेंस कंपनी में काम करता था। वह अहमदाबाद के कामरेज इलाके में रहता था। छह अप्रैल को दोपहर डेढ़-बजे वह कंपनी से खाना खाने घर जा रहा था। रास्ते में उसकी मोटर साइकिल एक गाय से टकरा गई। सिर और दाहिने पैर में गंभीर चोट आने से उसे नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उसे होप न्यूरोकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

सीटी स्कैन में उसके दिमाग में रक्त की गांठ की जानकारी मिली। गांठ निकालने के बाद भी उसकी हालत नहीं सुधरी और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। डोनेट लाइफ के नीलेश मांडलेवाला ने उसके परिजनों को अंगदान के बारे में जानकारी दी। उनकी सहमति मिलने पर हृदय, किडनी, लीवर और पेन्क्रीयाज के दान के लिए विभिन्न अस्पतालों से सम्पर्क किया गया। सूरत से मुम्बई (269 किमी) की दूरी ग्रीन कॉरिडोर के जरिए मात्र 87 मिनट में पूरी की गई। 

ऐसे बना ग्रीन कॉरिडोर

  • सुबह 5.15 बजे - मुम्बई फोर्टिस अस्पताल की टीम महावीर अस्पताल से सूरत एयरपोर्ट पहुंची 
  • सुबह 9.30 बजे - फोर्टिस अस्पताल की टीम सूरत एयरपोर्ट पहुंची 
  • सुबह 10.01 बजे - सूरत एयरपोर्ट से एयर एम्बुलेंस के जरिए टीम मुम्बई रवाना
  • सुबह 10.38 बजे - टीम मुम्बई एयरपोर्ट पहुंची
  • सुबह 10.57 बजे - चिकित्सकों की टीम अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में दाखिल हुई

जब भी हार्ट डोनेट करने की बात आती है तो नियमानुसार पहले राज्य में फिर रीज़न में तदुपरांत राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाता है कि किस व्यक्ति को हृदय की अत्यंत आवश्यकता है। जिसे सरकार की नोटा संस्था तय करती है। लेकिन उस दिन देश में कोई ऐसा शख्स नही था जिसका ब्लड ग्रुप ए पॉज़िटिव हो और उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत हो। जो थे वो तत्काल असर से हार्ट ट्रांसप्लांट नही करना चाह रहे थे। 

नियमानुसार जब ऐसी स्थिति का निर्माण हो तो विदेशी नागरिक जो सरकार कि प्रतीक्षा सूची में हो उसमे ट्रांसप्लांट किया जाता है। उस दिन मुम्बई के फोर्टिस अस्पताल में रवि का हृदय यूक्रेन निवासी नतालीया ओमेलचुक में ट्रांसप्लांट किया गया। जो यूक्रेन से आई थी। उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत थी। 

आज रवि के परिवार सदमे है, उनका बड़ा बेटा उन्होंने खो दिया है लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि आज उनके बेटे ने जीवन त्याग भले कर दिया हो लेकिन 6 लोगो को नया जीवन दिया है।

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