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सूरत: ठुकराया करोड़ों का धन, संन्यासिन बनी डॉक्टर बिटिया

30 साल की गोल्डमेडेलिस्ट डॉक्टर हिना जैन के साध्वी बनने के फैसले को पूरे परिवार का साथ मिला। अपनी प्यारी बेटी का त्याग और समर्पण देखकर पिता की आंखें छलक रहीं थीं। लेकिन दिल में इस बात की खुशी और गर्व भी है कि बेटी ने इतनी कम उम्र में त्याग का इतना बड़ा फैसला किया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 19, 2018 8:34 IST
सूरत: ठुकराया करोड़ों का धन, संन्यासिन बनी डॉक्टर बिटिया- India TV Hindi
सूरत: ठुकराया करोड़ों का धन, संन्यासिन बनी डॉक्टर बिटिया

नई दिल्ली: तीस साल की उम्र, मेडिकल साइंस में गोल्ड मेडलिस्ट, बेहतरीन डॉक्टर लेकिन जब कोई ये सब छोड़कर संन्यासी बन जाने का फैसला करे तो चौंकना लाज़मी है। ऐसी ही कुछ कहानी है सूरत की रहने वाली हिना जैन की। हिना जैन ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर तीन साल तक लोगों को अपनी सेवाएं दीं लेकिन सांसारिक दुनिया में मन नहीं लगा तो कल उसने पूरे रीति रिवाज के साथ जैन साध्वी का चोला ओढ़ लिया। हिना के इस फैसले में परिवार ने भी पूरा साथ दिया और एक भव्य कार्यक्रम में उसने अपना सबकुछ भगवान के चरणों में सौंपकर साध्वी विशारद मालाश्री जी महाराज साहेब बन गई।

30 साल की गोल्डमेडेलिस्ट डॉक्टर हिना जैन के साध्वी बनने के फैसले को पूरे परिवार का साथ मिला। अपनी प्यारी बेटी का त्याग और समर्पण देखकर पिता की आंखें छलक रहीं थीं। लेकिन दिल में इस बात की खुशी और गर्व भी है कि बेटी ने इतनी कम उम्र में त्याग का इतना बड़ा फैसला किया। पांच बहनों में हिना जैन सबसे बड़ीं हैं। जिन बहनों के साथ बचपन बीता, जिस बड़ी बहन से मां समान प्यार मिला, उसी बहन को घर द्वार छोड़कर जाता देख सभी दुखी थीं।

हिना के इस फैसले ने पहले तो परिवार को चौंकाया लेकिन अपनी लाड़ली की भावनाओं का सम्मान करते हुए परिवार ने हिना को जैन साध्वी बनने की इजाज़त दे दी। हिना के साध्वी विशारद मालाश्री जी महाराज साहेब बनने पर परिवार खुशी से फूला नहीं समा रहा। सांसारिक मोह माया को छोड़ इस नई दुनिया में पहला कदम रखने से पहले डॉक्टर हिना जैन के परिवार वालों ने एक बड़े समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में जैनाचार्य यशोवर्म सूरेश्वरजी महाराज ने डॉक्टर हीना जैन को साध्वी बनने की दीक्षा दी।

जैन धर्म में रजोहरण की प्राप्ति का मतलब होता है कि संन्यास के लिये गुरु की रज़ामंदी। डॉक्टर हिना जैन को भी जैनाचार्य यशोवर्म सूरेश्वरजी महाराज ने अपनी शिष्या मान लिया और अब उन्हें अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलना होगा। गुरु की अनुमति मिलने के बाद डॉक्टर हिना जैन का फिर से नामकरण किया गया। जैनाचार्य ने डॉक्टर हिना को नाम दिया विशारद मालाश्री जी महाराज साहेब और उसके बाद हिना से विशारद मालाश्री जी महाराज साहेब ने अपने बाल और कपड़ों का त्याग कर सफेद वस्त्र धारण कर लिये।

कम उम्र में शानदार करियर और करोडो़ं की संपत्ति को छोड़कर त्याग के रास्ते पर चलने की ये कोई नई या पहली कहानी नहीं है लेकिन हर बार ऐसी तस्वीरें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि आज के समय में भी ऐसे युवा और बच्चे हैं जिन्हें लालच छू भी नहीं पाया और जिनके लिए सोना वाकई मिट्टी के समान है।

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