सूरत: जिस उम्र में नौजवान अपने करियर और अपने सपनों के पीछे भागते हैं उस उम्र में अगर कोई संन्यास लेने की सोचे तो ये सुनकर ही हर किसी का चौंकना लाज़मी है लेकिन गुजरात के सूरत में कुछ ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिलीं जब जैन दीक्षा समारोह में कई लड़कियों ने जीवनभर के लिए साध्वी का चोला ओढ़ लिया। और खास बात ये कि ऐसा करने वालों में एक NRI लड़की भी थी जिसने अपना सबकुछ त्याग कर संन्यास धर्म को अपना लिया।
हेता शाह मूल रूप से कनाडा की रहने वाली हैं। वह अपने परिवार के साथ इस शोभा यात्रा का केंद्र बनीं और इस शोभा यात्रा के पूरा होने के बाद हेता ने वो किया जिसकी कल्पना इस उम्र के पड़ाव में शायद ही कोई लड़की करे। हेता ने जीवन की तमाम सुख सुविधाओं का त्याग कर जैन मुनि से दीक्षा लेकर कठिन संन्यासी जीवन को अपना लिया।
सूरत में मंगलवार को हेता शाह के इस फैसले के सम्मान में शाही यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में हेता के परिजन और जैन धर्म के लोग शामिल हुए। बुधवार को एक भव्य समारोह में हेता ने अपना सबकुछ त्याग कर सफेद चोला ओढ़ लिया। हेता ने सिर के बाल मुंडवा दिए और नंगे पैर भिक्षा मांग कर संन्यासी जीवन की शुरूआत की। हेता शाह ने अपने इस फैसले को लेकर बेहद खुश हैं और उनका कहना है कि उन्होंने बहुत सोच विचार के बाद ये फैसला लिया है।
संन्यासी बनी हेता शाह
- 30 साल की हेता शाह पिछले 17 साल से कनाडा में रह रही हैं
- हेता ने केमेस्ट्री में MSc. की पढ़ाई पूरी की और वो केनेडा में एक बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनी में नौकरी करती थी
- कनाडा से भारत आई हेता वडोदरा में आचार्य मुक्तिदर्शन सूरीश्वर के सम्पर्क में आईं
- आचार्य के उपदेश और जैनदर्शन के संबंध में अभ्यास करने के बाद हेता को वैराग्य प्राप्त हुआ और उन्होंने दीक्षा लेने का निर्णय किया
- दीक्षा लेने के लिए हेता शाह ने संस्कृत भाषा सीखी। करीब चार साल पहले हेता ने परिवार को साध्वी बनने की बात बताई।
सूरत में बुधवार को कुल छह लोगों ने जैन मुनि की दीक्षा ली जिसमें एक पति-पत्नी का जोड़ा, कनाडा की रहने वाली हेता शाह, चेन्नई की दो बहनें और एक बंगलोर की रहने वाली लड़की नम्रता ने दीक्षा ली। चेन्नई की दो बहनों 24 साल की निधि और 23 साल की नेहा ने भी कल सूरत में हुई जैन दीक्षा समारोह में साध्वी का चोला ओढ़ लिया। परिवार के मुताबिक दोनों बहनों को जन्म से ही जैन धर्म के अनुसार संस्कार और शिक्षा दी जाती थी। परिवार चाहता था कि उनकी बड़ी बटी साध्वी बने लेकिन बड़ी बहन को देखकर छोटी बहन ने भी धर्म का मार्ग चुना और करीब चार साल के इंतज़ार के बाद दोनों बहनों ने कल सूरत में जैन मुनि का वेश धारण कर भौतिक जीवन को अलविदा कह दिया।