नई दिल्ली: सप्रीम कोर्ट ने 2018 में आए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सोमवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा किए गए संशोधन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस ऐक्ट में तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान बना रहेगा और इसके तहत किसी भी शख्स को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस रवींद्र भट्ट की बेंच ने 2-1 से यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा उसके पहले के फैसले में किए गए संशोधन को बरकरार रखा है। बता दें कि मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग के मद्देनजर इसमें मिलने वाली शिकायतों को लेकर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने इस ऐक्ट के तहत अग्रिम जमानत का भी प्रावधान कर दिया था।
इसके बाद संसद में अदालत के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था। संसद द्वारा कानून का संशोधन किए जाने के बाद कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं।