नई दिल्ली: करीब 164 साल पुराने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट अब 8 फरवरी इस मामले की अगली सुनवाई करेगी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस से जुड़े सभी वकील आपस में बैठकर कानूनी दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी करें सुन्नी वक्फ बोर्ड सुनवाई टालने की मांग की। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 5 जजों की बेंच में 15 जुलाई 2019 के बाद सुनवाई की मांग रखी। गौरतलब है कि अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के 7 साल बाद यह सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच में आज सुनवाई हुई। राममंदिर के पक्षकार इस केस में जल्दी से जल्दी फैसला चाहते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी इस मामले को फिलहाल टालना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में हरीश साल्वे और कपिल सिब्बल के बीच बहस, हरीश साल्वे ने कहा हमने सारे दस्तावेज पेश कर दिए हैं, इस पर कपिल सिब्बल ने कहा हमें कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं। दरअसल सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि 90 हजार से अधिक दस्तावेज हैं जिसका अनुवाद होना था। 700 से ज्यादा इस केस में इस्तेमाल जजमेंट की कॉपी दी जानी थी। अभी वो सब बचा हुआ है।
श्री राम लीला की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि हाइकोर्ट ने 2010 में फैसला दिया। पिछले सात साल से इस कोर्ट में मामला लंबित है। अब सुनवाई को और अधिक नहीं टाला जाना चाहिए। मुस्लिम पक्ष की ओर से जब राजीव धवन ने कहा कि इस केस के देश का लोकतंत्र और सेक्युलर इमेज जुड़ा है तो कोर्ट रूम में सबने एक स्वर से निंदा की।
अयोध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी LIVE UPDATE :
- सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 5 जजों की बेंच के सामने सुनवाई की मांग रखी।
- सुप्रीम कोर्ट अब 8 फरवरी इस मामले की अगली सुनवाई करेगी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस से जुड़े सभी वकील आपस में बैठकर कानूनी दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी करें
- सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई टालने की मांग की।
- 15 जुलाई 2019 के बाद हो मामले की सुनवाई: कपिल सिब्बलदस्तावेजों को लेकर वकील हरीश साल्वे और कपिल सिब्बल के बीच जोरदार बहस
- सुन्नी वक्फ बोर्ड का पक्ष वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अदालत के सामने रखते हुए कहा कि 90 हजार से अधिक दस्तावेज हैं जिसका अनुवाद होना था। 700 से ज्यादा इस केस में इस्तेमाल जजमेंट की कॉपी दी जानी थी। अभी वो सब बचा हुआ है।
- आज की सुनवाई की शुरुआत में शिया वक्फ बोर्ड के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट से कहा कि विवादित जमीन पर मंदिर बनाया जाना चाहिए,लेकिन जब वह अपना पक्ष रख रहे थे उसी दौरान 3 जजों की पीट ने उनको रोक दिया है।
- अयोध्या विवाद पर SC में सुनवाई शुरु हो गई है, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के सात साल बाद एक बार फिर से सुनवाई शुरु हुई है, 3 जजों की पीठ मामलें की सुनवाई कर रही है
शिया वक़्फ़ बोर्ड ने दाखिल कर दिया है रामजन्मभूमि पर मंदिर बनाने का हलफ़नामा
सुन्नी वक्फ बोर्ड और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को फिलहाल टालने की अपील कर सकते हैं। इसके लिए दस्तावेज़ के ट्रांसलेशन का काम पूरा न होने को आधार बनाया जा सकता है। इस बीच केस में एक नया ट्विस्ट आया है कि शिया वक़्फ़ बोर्ड ने समझौते के जरिये रामजन्मभूमि पर मंदिर बनाने का हलफ़नामा भी दाखिल कर दिया है।
इस मामले में 7 साल से लंबित 20 याचिकाएं इस साल 11 अगस्त को पहली बार लिस्ट हुई थी। पहले ही दिन दस्तावेजों के अनुवाद पर मामला फंस गया था।
7 भाषाओं में 9000 पन्नों के दस्तावेज
संस्कृत, फारसी, उर्दू, पाली और अरबी समेत 7 भाषाओं में 9 हजार पन्नों का अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए कोर्ट ने 12 हफ्तों का समय दिया था। इसके अलावा 90 हजार पेज में गवाहियां दर्ज हैं।
7 साल पहले इलाहाबाद HC ने 3 बराबर हिस्सों में बांटी थी जमीन
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को इस केस में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन 3 बराबर हिस्सों में बांट दी थी। कोर्ट ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला के विराजमान होने के लिए दी थी। राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में 7 साल में 20 अर्जियां
सुन्नी वक्फ बोर्ड 14 दिसंबर 2010 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। फिर एक के बाद एक 20 याचिकाएं दाखिल हो गईं। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया लेकिन सुनवाई शुरू नहीं हुई। इस दौरान सात चीफ जस्टिस बदले। सातवें चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इस साल 11 अगस्त को पहली बार याचिकाएं लिस्ट की।