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आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल करेगा सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 30 अक्तूबर को कहा था कि संवैधानिक पीठ का गठन किया जाएगा और आधार से संबंधित मामले उसके समक्ष सुनवाई के लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह में आएंगे। सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं और कई अन्य सेव

Reported by: Bhasha
Published : November 02, 2017 14:19 IST
Supreme_Court
Image Source : PTI Supreme_Court

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर कल सुनवाई के लिए राजी हो गया। यह मामला न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आया और याचिकाकर्ता के वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह की याचिकाएं शीर्ष अदालत में कल सुनवाई के लिए पहले से सूचीबद्ध हैं। कर्नाटक के मैथ्यू थॉमस ने आधार कानून की संवैधाानिक वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और बायोमेट्रिक प्रणाली ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 30 अक्तूबर को कहा था कि संवैधानिक पीठ का गठन किया जाएगा और आधार से संबंधित मामले उसके समक्ष सुनवाई के लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह में आएंगे। सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं और कई अन्य सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के केंद्र के कदम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई थी। हाल में शीर्ष अदालत की नौ न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है।

आधार की वैधता को चुनौती देने वाले कई याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। केंद्र सरकार ने 25 अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य रूप से उनसे जोड़ने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी गई है। यह उनके लिए किया गया है जिनके पास 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या नहीं है लेकिन वे इसे प्राप्त करना चाहते हैं।

कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबरों से जोड़ने को शीर्ष अदालत में ‘गैर कानूनी और असंवैधानिक’ बताया है। उन्होंने सीबीएसई द्वारा परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के कथित कदम पर भी आपत्ति जताई। हालांकि केंद्र ने इस बात से इनकार किया है।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अधिवक्ता ने पहले कहा था कि आधार से संबंधित मुख्य मामला जो शीर्ष अदालत में लंबित है उसमें अंतिम सुनवाई आवश्यक है क्योंकि सरकार नागरिकों को अपने आधार को बैंक खातों या मोबाइल नंबरों से जोड़ने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है।

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