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सबरीमला मंदिर के फैसले पर दोबारा विचार की याचिका सुनने को तैयार हुआ सुप्रीम कोर्ट, 22 जनवरी को सुनवाई

उच्चतम न्यायालय सबरीमला पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर खुले न्यायालय में 22 जनवरी को सुनवाई के लिये तैयार हो गया

Edited by: India TV News Desk
Updated on: November 13, 2018 17:31 IST
Supreme Court to hear review petitions of Sabarimala Devasthanam on January 22nd- India TV Hindi
Supreme Court to hear review petitions of Sabarimala Devasthanam on January 22nd

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केरल में स्थित सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के अपने फैसले पर रोक लगाने से मंगलवार को इंकार कर दिया परंतु वह इस पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर खुले न्यायालय में 22 जनवरी को सुनवाई के लिये तैयार हो गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चैंबर में इन पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया और सारे मामले में न्यायालय में सुनवाई करने का निश्चय किया। चैंबर में होने वाली कार्यवाही में वकील उपस्थित नहीं रहते हैं। 

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं। न्यायालय ने अपने आदेश् में कहा, ‘‘सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर सभी लंबित आवेदनों के साथ 22 जनवरी, 2019 को उचित पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। हम स्पष्ट करते है कि इस न्यायालय के 28 सितंबर, 2018 के फैसले और आदेश पर कोई रोक नहीं है।’’ 

शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लैंगिक भेदभाव करार देते हुये अपने फैसले में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। 

इससे पहले, दिन में न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के निर्णय पर पुनिर्वचार के लिये दायर याचिकाओं का निबटारा होने के बाद ही इस मुद्दे पर किसी नयी याचिका की सुनवाई की जायेगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले को चुनौती देने वाली जी विजय कुमार, एस जय राजकुमार और शैलजा विजयन की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। 

सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये 48 याचिकायें दायर की गयी हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने नौ अक्टूबर को नेशनल अय्यप्पा अनुयायी एसोसिएशन की पुनर्विचार याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। 

इस एसोसिएशन की याचिका में कहा गया था कि सबरीमला मंदिर में स्थापित प्रतिमा ‘नैस्तिक ब्रह्म्चारी’ है और 10 साल से कम तथा 50 साल से अधिक उम्र की महिलायें उनकी पूजा करने की पात्र हैं और इस मंदिर में महिलाओं को पूजा करने से अलग रखने की कोई परंपरा नहीं है। 

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