नई दिल्ली: बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की दर्दनाक मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। इस बीच मुजफ्फरपुर में चमकी से अबतक 112 बच्चों की मौत हो चुकी है। कल रात से आज सुबह तक चमकी से तीन बच्चों की मौत हो गई।
वैसे इसके ज्यादातर मामले मुजफ्फरपुर में सामने आए हैं लेकिन पड़ोस के पूर्वी चंपारण और वैशाली जैसे जिलों में भी इस तरह के मामलों की खबर है। इससे पहले, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद ने बताया था कि मंगलवार देर शाम तक एईएस (चमकी बुखार) से मरने वाले बच्चों की संख्या 109 हो गयी है, जिनमें से श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में 90 बच्चों और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हुई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को एसकेएमसीएच पहुंचे तो उन्हें परिजनों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने नीतीश कुमार वापस जाओ के नारे लगाए। लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर भी था कि नीतीश बिना परिजनों से मिले ही अस्पताल से चले गए। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों और चिकित्सकों के साथ बैठक की तथा कई आवश्यक निर्देश दिए।
केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अस्पताल का दौरा किया है लेकिन ना मरीजों के लिए कुछ खास हुआ और ना ही अस्पताल के लिए। सौ से ज्यादा बच्चों की मौत होने के बावजूद अस्पताल के अंदर के हालात बेहद खराब हैं। इंडिया टीवी संवाददाता जब वार्ड में पहुंचे तो वहां डॉक्टरों की जबरदस्त कमी नजर आई।
हालत इतनी बुरी थी कि रोशनी नाम की एक मासूम बच्ची के परिजन उसे खुद ही ऑक्सीजन लगाने को मजबूर नजर आए। हैरान करने वाली बात ये थी कि इस परिजन को ये भी नहीं पता था कि मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत है भी या नहीं।