नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश के तौर पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि हमारा मानना है कि इस मामले में इस समय हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगले प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका विचार योग्य नहीं है। इससे पहले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने वकील आर.पी. लूथरा से कोर्ट मास्टर के समक्ष मेंसनिंग मेमो दाखिल करने के लिए कहा। लूथरा ने इस मामले को पीठ के सामने जल्द सुनवाई के लिए पेश किया था।
प्रधान न्यायाधीश मिश्रा के खिलाफ इस वर्ष के प्रारंभ में बगावत कर चुके चार न्यायाधीशों में शामिल रहे न्यायमूर्ति गोगोई को 13 सितंबर को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्ति किया गया। मौजूदा प्रधान न्यायाधीश मिश्रा दो अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
वकील लूथरा ने याचिकाकर्ता वकील सत्यवीर शर्मा के साथ मिलकर न्यायमूर्ति गोगोई की प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति रद्द करने की मांग की। गोगोई 3 अक्टूबर को कार्यभार संभालने वाले हैं।
याचिका में कानून के प्रश्न का निर्णय करने की मांग की गई है, जिसके लिए वे चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की तरफ 12 जनवरी को बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन की सामग्री पर निर्भर हैं, जिसमें न्यायमूर्ति गोगोई भी शामिल थे।
याचिका में कहा गया है, "अदालत के सर्वाधिक वरिष्ठ चार न्यायाधीशों का यह कदम देश की न्याय प्रणाली को नष्ट करने से कम नहीं था। उन्होंने इस अदालत में खास आंतरिक मतभेदों के नाम पर देश में सार्वजनिक हंगामा खड़ा करने की कोशिश की।" उन्होंने कहा है कि न्यायमूर्ति गोगोई को उनके अवैध और संस्थान विरोधी कदम के लिए झिड़की दी जानी चाहिए थी।