नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत से फिलहाल कोई हल नहीं होते देख सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है कि सोमवार 11 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई की जाएगी। अबतक सरकार और किसानों के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन किसी तरह का हल नहीं निकल पाया है, किसान सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार कानूनों में सुधार के लिए तैयार है। बुधवार को सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह गतिरोध समाप्त होगा।
केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि किसानों के साथ कृषि कानूनों पर ‘‘स्वस्थ वार्ता’’ जारी है, जिस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बातचीत को प्रोत्साहित करती है। इसपर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वे हालात से वाकिफ हैं और चाहते हैं कि बातचीत और बढ़ें।
किसान कानूनों के विरोध में कई राज्यों से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले बैठे हैं, किसानों के विरोध प्रदर्शन को 41 दिन हो चुके हैं और आज 42वां दिन है। अब तक किसानों और सरकार में आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा नहीं निकल सका है। किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की बात 8 जनवरी को होनी है।
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान, दोनों अपने-अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था बनी रहना सुनिश्चित करने के लिए कानून नहीं लाती, तब तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे।