नई दिल्ली. नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर से भारत में हाहाकार मचा हुआ है। इस वक्त देश के सभी कोविड अस्पताल भरे हुए हैं, कोरोना टेस्टिंग सेंटर्स पर लाइन लगी हुई है। कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी है। जिस वजह से मरीज और उनके परिजन परेशान है। देश में कोरोना की ऐसी पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति और टीकाकरण के तरीकों से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय नीति चाहता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना संबंधित मुद्दों पर छह अलग-अलग उच्च न्यायालयों का सुनवाई करना किसी तरह का भ्रम पैदा कर सकता है। न्यायालय ने कोविड-19 प्रबंधन पर स्वतं: संज्ञान के मामले में उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट देश में कोविड-19 प्रबंधन से जुड़े, स्वत: संज्ञान वाले मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा। वह कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच लॉकडाउन घोषित करने की उच्च न्यायालयों की न्यायिक शक्ति को भी जांचेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना प्रबंधन से उत्पन्न मुद्दों से निपटने वाले छह उच्च न्यायालय भ्रम पैदा कर रहे थे। कोर्ट ने कहा, "हम एक अदालत के रूप में कुछ मुद्दों में स्वत: संज्ञान लेना चाहते हैं। हमने पाया है कि देश में दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, एमपी, कोलकाता और इलाहाबाद हाईकोर्ट हैं। वे सर्वोत्तम हित में अधिकार क्षेत्र का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन यह भ्रम पैदा कर रहा है और संसाधनों की अलग दिशा में मोड़ रहा है।" कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि इन मुद्दों को बाद के चरण में उच्च न्यायालयों से खुद में स्थानांतरित करना है या नहीं।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस आर भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह देश में कोविड-19 टीकाकरण के तौर-तरीके से जुड़े मुद्दे पर भी विचार करेगी। पीठ ने कहा कि वह वैश्विक महामारी के बीच लॉकडाउन घोषित करने की उच्च न्यायालयों की शक्ति से जुड़े पहलू का भी आकलन करेगी। शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान की कार्यवाही में उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किया है। पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और कहा कि वह मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगी।