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ताजमहल पर सरकार को SC की फटकार, कहा- यूनेस्को इसको अपनी 'विश्व धरोहर सूची' से बाहर कर दे तो...

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की उपेक्षा के लिए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि अगर यूनेस्को 17वीं सदी के इस मुगल स्मारक को अपनी 'विश्व धरोहर सूची' से बाहर कर दे तो आप लोग क्या करेंगे।

Edited by: India TV News Desk
Updated : July 26, 2018 19:01 IST
taj mahal
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की उपेक्षा के लिए गुरुवार को केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि अगर यूनेस्को 17वीं सदी के इस मुगल स्मारक को अपनी 'विश्व धरोहर सूची' से बाहर कर दे तो आप लोग क्या करेंगे। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, "यह एक विश्व धरोहर है। क्या होगा जब यूनेस्को कहेगा कि उसने ताज महल से विश्व धरोहर का दर्जा वापस ले लिया है।"

अदालत ने पूछा कि क्या संबंधित अधिकारियों ने धरोहर स्थल की सुरक्षा व संरक्षण के लिए प्रबंधन योजना बनाई है? न्यायमूर्ति लोकुर ने हलफनामे में कही गई बातें और अदालत के सामने मौखिक रूप से पेश ब्योरे में बदलावों की ओर इशारा करते हुए कहा, "जो भी हो रहा है, उसे समझना बहुत बहुत मुश्किल है। कुछ बातें हलफनामे में कही गईं, कुछ मौखिक रूप से और कुछ ऐसे ही कह दी गई। यह स्वीकार्य नहीं है।"

इसके साथ ही अदालत यह भी जानना चाहती है कि ताज की सुरक्षा व संरक्षण के लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं, क्योंकि अदालत ने पाया कि तीन हलफनामे दायर किए गए हैं। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग का, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और किसी अन्य प्राधिकरण ने ताज के लिए हलफनामे दायर किए हैं।

वरिष्ठ वकील ए.डी.एन. राव ने अदालत को बताया कि ताज की देखभाल की जिम्मेदारी भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) के पास है। अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि एएसआई को ताज की सुरक्षा और संरक्षण के लिए मसौदे ²ष्टि दस्तावेज तैयार करने के लिए परामर्श प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।

अदालत ने आदेश दिया कि मसौदा विजन दस्तावेज की एक प्रति एएसआई को भी उपलब्ध कराई जाए और इसे इंटैच, आगा खान फाउंडेशन, आईसीओएमएस और अन्य समान इकाइयों के साथ साझा किया जाए, जिनके पास इस ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा और इसे बनाए रखने की विशेषज्ञता है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी निर्देशित किया कि वे दस्तावेज मसौदे की एक प्रति याचिकाकर्ता एम.सी. मेहता को भी दें।

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