नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित बच्चों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए डॉक्टरों के खाली पदों को भरना अदालत की क्षमता के बाहर है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा यह बात उस समय कही जब अदालत को बताया गया कि बिहार में डॉक्टरों के 75 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं।
पीठ ने कहा, "न्यायाधीशों, मंत्रियों, राज्यसभा सदस्यों यहां तक कि पानी और धूप हर जगह रिक्तियां हैं लेकिन हम उन सबकी पूर्ति नहीं कर सकते हैं।"
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से बिहार में डॉक्टरों और नर्सो के रिक्त पदों को भरने का निर्देश देने की मांग की थी।
अदालत ने हालांकि कहा, "बिहार में डॉक्टरों की रिक्तियां हैं। तो हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें रिक्तियों को भरना शुरू कर देना चाहिए? आप क्या सुझाव देने की कोशिश कर रहे हैं।"
शीर्ष अदालत ने प्रदेश में बीमारी की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार और बिहार सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर संतोष जाहिर किया।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एईएस के प्रकोप में 140 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी, जिसको लेकर अदालत में एक याचिका दायर की गई थी।