नई दिल्ली. तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध जारी है। अब ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। गुरुवार को तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ 10 बड़ी बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की मांग पर कमेटी बनाई।
- किसान यूनियन और किसानों के विशेषज्ञ कमेटी में होंगे।
- कमेटी में किसानों के विशेषज्ञ पी साईनाथ शामिल होंगे।
- सरकार और किसानों को निष्पक्ष ओपिनियन देगी कमेटी।
- किसानों से सरकार की बातचीत सफल नहीं है- चीफ जस्टिस
- किसानों को प्रदर्शन करने का मौलिक अधिकार- चीफ जस्टिस
- आंदोलन से दूसरों की जिंदगी प्रभावित ना हो- चीफ जस्टिस
- कानून की वैधता पर नहीं बल्कि प्रदर्शन पर सुनवाई करेंगे।
- नागरिक के कहीं भी आने-जाने के अधिकार पर सुनवाई होगी।
- जबतक प्रदर्शन हिंसक नहीं तबतक पुलिस बलप्रयोग ना करे-CJI
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनमें से कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, वे बड़ी संख्या में एक साथ बैठते हैं। COVID-19 एक चिंता का विषय है, वे गांव जाएंगे और वहां कोरोना फैलाएंगे। किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते। पंजाब सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि बहुत सारे किसान पंजाब से हैं। राज्य सरकार को इसबात से कोई आपत्ति नहीं है कि लोगों का एक समूह सरकार और किसानों के बीच की बातचीत करवाए। यह किसानों और केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि कमेटी में कौन होगा।