नई दिल्ली: चुनाव के बीच विपक्षी पार्टियों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम-वीवीपैट पर विपक्षी पार्टियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। देश की 21 पार्टियों ने ईवीएम से 50% वीवीपैट पर्चियों के मिलान की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 पर्चियों के मिलान का आदेश दिया था जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने पुर्नविचार याचिका दी थी। आज की सुनवाई के समय आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, संजय सिंह, फारुख अब्दुल्ला, लेफ्ट नेता डी राजा मौजूद थे। विपक्ष की दलील थी कि इस तरह से देशभर में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किया जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, “हम अपने आदेश को संशोधित करने के इच्छुक नहीं हैं।” यह याचिका आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु की अगुवाई में विपक्ष के नेताओं ने दायर की थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम के साथ औचक मिलान को बढ़ा कर पांच मतदान केंद्र तक कर दिया था लेकिन अब वे मांग कर रहे हैं कि इसे कम से कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए।
सिंघवी ने पीठ से कहा, “यह भरोसा बनाने के कदमों की संतुष्टि के लिए होगा।” सिंघवी ने कहा कि वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम के साथ औचक मिलान को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों तक बढ़ाना महज दो प्रतिशत बढ़ाने के बराबर है और याचिकाकर्ताओं की मांग है कि इसे कम से कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जाना चाहिए।
इससे पहले बीते 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का निर्देश दिया था। इस आदेश के खिलाफ विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन डाली थी जिस पर कोर्ट ने आज सुनवाई किया।
मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने की। बता दें कि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पांच पर्चियों के मिलान का जो फैसला पहले दिया था वह चुनाव आयोग के हलफनामें पर गौर करने के बाद दिया था। दरअसल, विपक्ष की मांग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों का मिलान अनुपात बढ़ाने को लेकर चुनाव आयोग से स्पष्ट जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट के जवाब मांगने पर आयोग ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि मौजूदा व्यवस्था ठीक है। इसमें बदलाव की जरूरत नहीं है। अगर 50 फीसद पर्चियों के मिलान की मांग मानी गई तो चुनाव परिणाम आने में कम से कम छह दिनों का समय लगेगा। इसी के बाद कोर्ट ने पुराना फैसला सुनाया था, जिसपर विपक्ष ने बाद में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।