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आधार की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने करीब साढे चार महीने के दौरान 38 दिन इन याचिकाओं पर सुनवाई की।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : May 11, 2018 12:10 IST
Supreme court reserves order on petitions challenging constitutionalities of Aadhaar
Supreme court reserves order on petitions challenging constitutionalities of Aadhaar

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आधार और इससे संबंधित 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज फैसला सुरक्षित रखा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने करीब साढे चार महीने के दौरान 38 दिन इन याचिकाओं पर सुनवाई की। पीठ ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तस्वामी की याचिका सहित 31 याचिकाओं पर सुनवाई की थी। 

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सिकरी , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर , न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को जानकारी दी कि 1973 के ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले के बाद निरंतर सुनवाई के संदर्भ में यह ‘‘ दूसरा सबसे लंबा ’’ मामला बन गया है।

वेणुगोपाल ने कहा कि केशवानंद भारती मामले में पांच महीने सुनवाई हुई थी और इस मामले में निरंतर साढे चार महीने सुनवाई हुई। यह इतिहास में निरंतर सुनवाई के संदर्भ में दूसरा सबसे लंबा मामला है। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और विभिन्न पक्षकारों की ओर से कपिल सिब्बल , पी चिदंबरम , राकेश द्विवेदी , श्याम दीवान और अरविन्द दातार सरीखे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं। 

सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने आधार नंबरों के साथ मोाबाइल फोन जोड़ने के निर्णय का बचाव करते हुये कहा कि यदि मोाबाइल उपभोक्ताओं का सत्यापन नहीं किया जाता तो उसे शीर्ष अदालत अवमानना के लिये जिम्मेदार ठहराती। हालांकि , न्यायालय ने कहा था कि सरकार ने उसके आदेश की गलत व्याख्या की और उसने मोबाइल उपभोक्ताओं के लिये आधार को अनिवार्य बनाने के लिये इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। शीर्ष अदालत सरकार की इस दलील से सहमत नहीं थी कि लोक सभा अध्यक्ष ने आधार विधेयक को सही मायने में धन विधेयक बताया था क्योंकि यह समेकित कोष से मिलने वाले कोष से दी जा रही सब्सिडी से संबंधित है। 

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