नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 18 जून को होने वाली उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से आज इनकार कर दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को भी रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ यूपीपीएससी की अपील को स्वीकार किया था।
पीठ ने कुछ छात्रों द्वारा दायर अर्जियों को खारिज कर दिया जिनमें मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की मांग की गई थी और कहा गया था कि यूपीपीएससी ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया। पीठ ने कहा, ‘‘ हम यूपीपीएससी की अपील को मंजूर करते हैं और उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हैं। मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’’
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा था कि अगर अदालतें प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं आयोजित करवाने वाले प्राधिकारों के फैसलों में न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति के बल पर दखल देती रहेंगी तो इससे परीक्षा की शुचिता खत्म हो जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि परीक्षाएं आयोजित कराने वाले प्राधिकारों के फैसलों की न्यायिक समीक्षा को किस हद तक इजाजत दी जानी चाहिए यह तय करने के लिए एक सीमारेखा खींचे जाने की जरूरत है।
अदालत कुछ छात्रों की याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी जिनमें यूपीपीएससी द्वारा आयोजित उच्च अधीनस्थ सेवा परीक्षा पर रोक लगाने अथवा उसे रद्द करने की मांग की गई थी। छात्रों ने याचिका में आरोप लगाया था कि पिछले वर्ष आयोजित यूपीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए कई सवालों के जवाब ‘‘गलत’’ थे।
उनका यह भी कहना था कि यूपीपीएससी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 मार्च को आए आदेश का भी पालन नहीं किया जिसमें उसे प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का निर्देश दिया गया था। मुख्य परीक्षा पहले टाल दी गई थी अब यह 18 जून को आयोजित होगी।