नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने समाज कल्याण की योजनाओं का लाभ उठाने के लिये आधार की अनिवार्यता संबंधी केन्द्र की अधिसूचना पर अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया। इस बीच, सरकार ने आश्वासन दिया है कि किसी भी व्यक्ति को इस पहचान के अभाव में वंचित नहीं किया जायेगा। न्यायमूर्त ए एम खानविलकर और न्यायमूर्त नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं की महज इस आशंका के आधार पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है कि आधार के अभाव में किसी भी व्यक्ति को विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है और वह भी ऐसी स्थिति में जब कोई भी प्रभावित व्यक्ति न्यायालय नहीं आया है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
न्यायाधीशों ने कहा, महज आशंका के आधार पर कोई भी अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है। आपको एक सप्ताह इंतजार करना होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस लाभ से वंचित किया जाता है तो आप न्यायालय का ध्यान इस ओर आकर्षति कर सकते हैं। तीन याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से पीठ ने कहा, हम ऐसे आदेश नहीं दे सकते जो अनिश्चित हैं । आप कह रहे हैं कि किसी को इससे वंचित किया जा सकता है परंतु हमारे सामने तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है। पीठ ने कहा, यह शासन एक लोकतांत्र्ािक कल्याणकारी व्यवस्था है जो कह रहा है कि वह इन लाभों से किसी को भी वंचित नहीं करेगा। फिलहाल वैकल्पिक पहचान पत्र वैध हैं।
सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठसे कहा कि विभिन्न समाज कल्याण की योजनाओं के तहत उन लोगों को भी लाभ दिया जायेगा जिनके पास आधार नहीं है।
उन्होंने आठ फरवरी की अधिसूचना का जिक््रु करते हुये कहा कि इसमे कहा गया है कि यदि किसी के पास आधार नहीं है तो भी उसे मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पैन कार्ड जैसे पहचान पत्रों का इस्तेमाल करने पर इन योजनाओं का लाभ मिलेगा। मेहता ने कहा, इन पहचान का मतलब यह है कि कोई भी छद्म व्यक्ति इन योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं कर सके। इन योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये दस अन्य दस्तावेज वैध हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने जिन व्यक्तियों के पास आधार नहीं है और वे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं, उनके लिये आधार के लिये पंजीकरण कराने हेतु 30 जून की तारीख बढाकर 30 सितंबर कर दी है। इस अवधि में किसी भी व्यक्ति को इन लाभों से वंचित नहीं किया जायेगा। पीठ ने 10 जून के शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि इसने पैन कार्ड और आयकर रिटर्न के लिये आधार अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधान को वैध ठहराया है परंतु उसने निजता के अधिकार के मुद्दे पर संविधान पीठ द्वारा विचार होने तक इसके अमल पर आंशिक रोक लगा दी है। न्यायालय ने इस फैसले में की गयी टिप्पणियों का जिक््रु करते हुये इस मामले को सात जुलाई को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया।
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