नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह सामान्य श्रेणी के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले को अभी संविधान पीठ के समक्ष भेजने का आदेश देने के पक्ष में नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि वह 28 मार्च को याचिका पर सुनवाई करेगी और संविधान पीठ को मुद्दा भेजने या नहीं भेजने पर विचार करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुये वरिष्ठ वकील राजीव धवन को अपने आवेदन में उठाये गये बिन्दुओं को एक छोटे नोट में दायर करने को कहा है।
केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के गरीबों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के लिए संसद में जनवरी में कानून पास करवाया था। 14 जनवरी से इसे लागू कर दिया गया था और इसके बाद कई राज्य सरकारों ने भी अपने यहां इस कानून को पास कर दिया है।
हालांकि संसद द्वारा कानून पास होने के बाद उच्चतम न्यायालय में संविधान संसोधन को चुनौती दी गई है, उच्चतम न्यायालय ने हालांकि इसपर रोक लगाने से फिलहाल इनकार किया है लेकिन मामले की सुनवाई हुई और यह मामला सुनावाई के लिए आगे उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ को सौंपा जाएगा या नहीं इसपर 28 मार्च को सुनवाई होगी।