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न्यायालय ने सजा माफी की नीति पर हरियाणा सरकार से सवाल किया, दो सप्ताह में मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने उम्र कैद की सजा काट रहे 75 वर्ष या उससे ज्यादा आयु के कैदियों की सजा माफी संबंधी हरियाणा सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कानून के प्रावधानों के ‘विपरीत’ है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 10, 2020 17:03 IST
Supreme Court questions Haryana govt over remission policy, seeks response in two weeks- India TV Hindi
Image Source : PTI Supreme Court questions Haryana govt over remission policy, seeks response in two weeks

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उम्र कैद की सजा काट रहे 75 वर्ष या उससे ज्यादा आयु के कैदियों की सजा माफी संबंधी हरियाणा सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कानून के प्रावधानों के ‘विपरीत’ है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर यह जवाब मांगा है कि क्या यह नीति संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत बनायी जा सकती है, क्योंकि न्यायालय को लगता है कि यह नीति आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 433-ए के विपरीत है। 

संविधान के अनुच्छेद 161 में जहां राज्यपाल को कुछ मामलों में सजा निलंबित करने, उसे माफ करने या उसमें बदलाव करने का अधिकार दिया गया है वहीं सीआरपीसी की धारा 433-ए में कुछ मामलों में राज्यपाल के इन अधिकारों पर पाबंदियां लगायी गयी हैं। सीआरपीसी की धारा 433-ए यह भी कहती है कि दोषी जेल से तब तक रिहा नहीं किया जा सकता, जब तक उसने कम से कम 14 साल की सजा पूरी ना कर ली हो, यह प्रावधान उन कैदियो पर लागू होता है जिन्हें ऐसे मामलों में उम्रकैद की सजा दी गई है जिनमें अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान है या फिर जिसकी सजा मृत्युदंड से परिवर्रित होकर उम्रकैद बनी है। 

न्यायमूर्ति यू.यू.ललित और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ एक आपराधिक मामले में अपील पर सुनवाई कर रही थी, उसी दौरान यह मामला सामने आया। इस दौरान पीठ को सूचित किया गया कि हरियाणा के राज्यपाल ने 15 अगस्त 2019 को सजा काट रहे कुछ कैदियों की सजा माफ की है। नीति के अनुसार, यह विशेष सजा माफी सिर्फ उन्हें मिल सकती है जिनकी आयु 75वर्ष या उससे ज्यादा है और उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई है तथा वे अपनी सजा के आठ साल पूरे कर चुके हैं। 

पीठ ने अपने आठ मई के आदेश में कहा, ‘‘उक्त नीति के प्रावधानों के तहत, ऐसे दोषी जिन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई है और जिनकी उम्र 75 साल या उससे ज्यादा है (पुरुष दोषियों के संदर्भ में) और जिन्होंने अपनी वास्तविक सजा के आठ साल पूरे कर लिए हों, वे सजा माफी का लाभ लेने के हकदार हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘पहली नजर में उक्त नीति सीआरपीसी, 1973 की धारा 433-ए के विपरीत लगती है।’’ 

यू.

ललित और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ एक आपराधिक मामले में अपील पर सुनवाई कर रही थी, उसी दौरान यह मामला सामने आया। इस दौरान पीठ को सूचित किया गया कि हरियाणा के राज्यपाल ने 15 अगस्त 2019 को सजा काट रहे कुछ कैदियों की सजा माफ की है। नीति के अनुसार, यह विशेष सजा माफी सिर्फ उन्हें मिल सकती है जिनकी आयु 75वर्ष या उससे ज्यादा है और उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई है तथा वे अपनी सजा के आठ साल पूरे कर चुके हैं। पीठ ने अपने आठ मई के आदेश में कहा, ‘‘उक्त नीति के प्रावधानों के तहत, ऐसे दोषी जिन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई है और जिनकी उम्र 75 साल या उससे ज्यादा है (पुरुष दोषियों के संदर्भ में) और जिन्होंने अपनी वास्तविक सजा के आठ साल पूरे कर लिए हों, वे सजा माफी का लाभ लेने के हकदार हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘पहली नजर में उक्त नीति सीआरपीसी, 1973 की धारा 433-ए के विपरीत लगती है।’’ 

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